अंबानी बंधुओं में हुआ समझौता

अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी ने पिछले कई दिनों से चले आ रहे विवाद को खत्म करते हुए नए सिरे से समझौता कर लिया है हालांकि यह समझौता पुराने फार्मूले पर हुआ है। अनिल और मुकेश अंबानी ने आपसी समझौते की पुष्टि की है।

अंबानी भाईयों ने एक दूसरे के व्यापार के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करने के लिए 2006 में हुए सभी समझौतों को ख़त्म करने का समझौता किया है। दोनों ही गुटों में गैस चालित बिजली उत्पादन के क्षेत्र में ये समझौता अभी भी जारी रहेगा। गौरतलब है कि 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाईयों के बीच चल रहे गैस विवाद में अनिल अंबानी को किसी भी तरह की राहत देने से इंकार करते हुए 6 सप्ताह में बातचीत करने को कहा था।


मुकेश अंबानी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि आरआईएल (मुकेश) और आरएनआरएल (अनिल) सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत गैस आपूर्ति की व्यवस्था के लिए जल्द ही बातचीत शुरू करते हुए, इस विवाद को भी सुलझा लेंगे।


एक दूसरे के कारोबार में दोनों भाई लेंगे भाग


इस नए समझौते के तहत, दोनों भाई एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करने के मौजूदा समझौते के रद्द होने से दोनों ही गुटों को तेल, गैस, पेट्रोकेमिकल, टेलीकॉम, और बिजली जैसे तेज़ी से विकास वाले क्षेत्रों में और खुलकर भाग लेगें।


क्या है गैस विवाद

अंबानी परिवार में बंटवारे के समय हुए समझौते के आधार पर अनिल अंबानी की कंपनी को के जी बेसिन के डी 6 क्षेत्र से गैस की आपूर्ति की जानी थी। आरएनआरएल इस गैस क्षेत्र से होने वाले उत्पादन में से रोजाना 2.8 करोड़ घन मीटर गैस पर 2.34 डॉलर प्रति इकाई की दर से दावा कर रही है जबकि आरआईएल का कहना है कि वह सरकार द्वारा तय की गई 4.2 डॉलर प्रति इकाई के हिसाब से ही गैस की आपूर्ति करेगी।

बंटवारे के समय यह तय हुआ था कि मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज अनिल अंबानी की कंपनी को 17 साल तक प्रतिदिन 2.8 करोड़ घन मीटर गैस सरकारी मूल्य से 44 प्रतिशत कम पर मुहैया कराएगी।


7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाईयों को 42 दिन के अंदर बातचीत करने को कहा था। जज ने कहा था कि 6 हफ्ते के अंदर दोनों भाई बातचीत करके सभी विवादों के बारे में फिर से चर्चा करें और कोशिश करें कि इस विवाद में कोई तीसरा न आए और वे खुद इस समस्या को सुलझा लें। कुछ ही दिनों पहले प्राकृतिक गैस के मूल्य निर्धारण को लेकर अंबानी बंधुओं में चल रही खींचतान पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया था जिसमें कहा गया कि गैस का मूल्य का तय करने का अधिकार सिर्फ़ सरकार के पास है। कोर्ट के इस निर्णय को मुकेश अंबानी के हक में माना गया क्योंकि सरकार जो भी मूल्य निर्धारित करेगी वह दोनों भाइयों के बीच हुए एक पारिवारिक समझौते से काफ़ी अधिक होगा।
 
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