कपड़े उतरवाकर देखा कहीं हम मुसलमान तो नही&#230

तालिबानी केवल पैसों के भूखे हैं, ये कहना है 40 दिन बाद तालिबान के कब्जे से छूटकर आए सिख युववक गुरविंदर सिंह का। गुरविंदर को पेशावर से दो और सिखों के साथ तालिबानियों ने अगवा कर लिया था। फिरौती न चुका पाने पर गुरविंदर के ही साथी की तालिबानियों ने सिर काटकर हत्या कर दी थी।


तालिबानी कब्जे से छूटने के बाद गुरविंदर ने बताया कि उन लोगों को बस पैसे चाहिए। उनमें से किसी का भी धर्म से कोई लेना देना नहीं, मैंने उनमें से एक को भी नमाज पढ़ते नहीं देखा। पाकिस्तान के तालिबानी साये वाले खैबर पास से गुरविंदर को छुड़वाया गया था। गुरविंदर के साथ ही सुरजीत सिंह को भी सोमवार को मुक्त करा लिया गया। जबकि परिवार द्वारा 30 मिलियन पाकिस्तानी रुपए फिरौती न देने के कारण तालिबानियों ने जसपाल सिंह का सिर कलम कर पिछले हफ्ते उसकी हत्या कर दी थी।


तालिबानियों ने हमें 40 दिनों तक जंजीरों से बांधकर रखा, हमें केवल रोटी और चाय दी। यही नहीं हमें लातों और घूसों से मारा-पीटा भी। 17 साल के गुरविंदर ने पहली बार एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में ये दर्द बयां किया।


पेशावर में मौजूद 3000 सिख समुदाय के लोगों में ज्यादातर व्यापारी हैं। ये तीनों कुछ और साथियों के साथ 19 जनवरी को खैबर पास किसी व्यापारिक यात्रा पर गए थे। यहीं से इन तीनों को तालिबानियों ने अगवा कर लिया। जिस वक्त ये खैबर के माथरा इलाके में पहुंचे 12 आतंकियों ने इन्हें रोका। सभी के हाथों में एके-47 बंदूके थी। कुछ लोगों के चेहरे ढंके हुए थे। उन्होंने हमारे ड्राइवर को कार से बाहर फेंका और उसे मारने लगा। इसी बीच हमारे कुछ साथी भागने में सफल रहे। लेकिन हमें इन्होंने गाड़ी में डाला, हमारी पगड़ी खोल दी, आंखों पर पट्टी बांधी और हाथ पीछे बांध दिए।


एक घंटे बाद हमारी गाड़ी किसी सूनसान इलाके में जाकर रूकी। हमारी आंखों की पट्टी खोल दी गई, चारों और पहाड़ थे। हमें तीन आतंकियों के पीछे चलने को कहा, बाकी आतंकी हमारे पीछे चलने लगे। हम पांच घंटे तक पैदल चलते रहे फिल हम दो झोपड़ियों के पास पहुंचे।


तभी उन्होंने हमें बैठने को कहा, वह कैंची लाए और हम तीनों के बाल काट दिए। जसपाल तेज चिल्लाने और रोने लगा, तभी एक आतंकी ने उसे लात मारी और चुप रहने को कहा। तभी एक आतंकी चाय और मोटी मोटी रोटी लेकर आया। और 40 दिनों तक यही हमारा खाना रहा।


दिन में आतंकी जंजीरे खोल देते और रात होने पर वापस जंजीरों में जकड़ देते। दोपहर में उन्होंने हमसे घरवालों के फोन नंबर मांगे और उनसे संपर्क करने लगे। तब हमें पता चला हमारा अपहरण फिरौती के लिए हुआ है। उन्होंने हमारे घरवालों से 50 मिलियन रूपए मांगे, बाद में ये 20 मिलियन पर आ गए।


जब भी वह हमारे घरवालों को फोन करते, हमें खूब मारते पीटते ताकी हमारे परिवार वाले दर्द से पसीजें और जल्दी फिरौती भेजें। जब पैसे नहीं मिले तो उन्होंने हमारे एक साथी को मार डाला। वह जसपाल को हमसे दूर ले गए और हमें दो दिन बाद बताया कि जसपाल मर गया है।


हांलाकि हमें उन पर विश्वास नहीं हुआ, एक दिन सुबह हमें हेलिकॉप्टर की आवाजें और फायरिंग की आवाज सुनाई दी। तीन आतंकी झोपड़ियों से बाहर आए हमें अकेला छोड़कर भाग गए। तभी सुरजीत उस झोपड़ी से बाहर निकल आया और उसे गोली लग गई। थोड़ी देर बाद हमें पाकिस्तानी सिपाही नजर आए हमने अपने हाथ खड़े कर दिए।


सैनिकों को हमारे कटे बाल देखकर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि हम अपह्रत सिख हैं। बाद में उन्होंने हमारे कपड़े उतरवाकर देखा की कहीं हम मुस्लमान तो नहीं। बाद में वह हमें हेलिकॉप्टर में बैठाकर पेशावर ले आए।
 

tomarnidhi

Well-known member
Re: कपड़े उतरवाकर देखा कहीं हम मुसलमान तो नही&

:thnx
 
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