Palang Tod
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पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज व कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के फैसले को वापस लेने का वित्त मंत्री पर दबाव बढ़ गया है। शुक्रवार को इस मसले पर विपक्ष के वॉकआउट के बाद शनिवार को सरकार के घटक डीएमके-तृणमूल कांग्रेस ने भी मूल्यवृद्धि को वापस लेने की मांग की है। तृणमूल नेता व रेल मंत्री ममता बनर्जी और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से किसानों व आम आदमी के हित में फैसला वापस लेने का आग्रह किया है। ममता ने हालांकि यहां संवाददाताओं से चर्चा करते हुए यह भी कहा कि वे इस मसले पर ‘टकराव’ नहीं चाहतीं। लेकिन लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि बजट पर होने वाली बहस में पार्टी सदन में अपनी नाराजगी जरूर जताएगी। विपक्ष के प्रस्तावित कटौती प्रस्ताव के समर्थन पर बंदोपाध्याय ने सिर्फ इतना कहा कि वे ‘हालात को देखकर फैसला लेंगे।’
डीजल के दाम न बढ़ाएं :
करुणानिधि ने अपने पत्र में लिखा है कि बढ़ती महंगाई के बीच डीजल के दाम बढ़ाने से खाद्य पदार्र्थो की कीमतों में और इजाफा होगा।
झुकना पड़ सकता है :
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि का फैसला वापस लेने से जरूर किया है। लेकिन राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि घटक दलों के दबाव को वह शायद ही नजरअंदाज कर सके।
अब आगे क्या?
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पर विपक्षी दलों के साथ सपा, बसपा और आरजेडी ने भी नाराजगी जताई है। ये तीनों दल सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। इन्होंने सरकार के खिलाफ मतदान की धमकी दी है। उधर, तृणमूल और डीएमके के भी मूल्यवृद्धि का विरोध करने से यूपीए के फ्लोर मैनेजरों का भरोसा डगमगाने लगा है। वे इन्हीं दोनों दलों के समर्थन पर बजट को मंजूरी दिलाने का यकीन पाले हैं।
बजट पर संसद का गणित
यदि सपा, बसपा और आरजेडी बजट प्रस्तावों का विरोध करने की धमकी पर कायम रहे तो भी सरकार 276 सांसदों (तृणमूल व डीएमके को मिलाकर) के समर्थन पर इसे पारित करवा सकती है। लेकिन यदि तृणमूल के 19 और डीएमके के 18 सदस्य मतदान में गैरमौजूद रहें तो बजट को मंजूरी नहीं मिल सकेगी। तब बहुमत के लिए जरूरी 272 की जादुई संख्या के बिना सरकार को इस्तीफा देना पड़ेगा। इसे देखते हुए कांग्रेस के फ्लोर मैनेजरों ने अन्य छोटे दलों व सांसदों के साथ जोड़-तोड़ शुरू कर दी है।
डीजल के दाम न बढ़ाएं :
करुणानिधि ने अपने पत्र में लिखा है कि बढ़ती महंगाई के बीच डीजल के दाम बढ़ाने से खाद्य पदार्र्थो की कीमतों में और इजाफा होगा।
झुकना पड़ सकता है :
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने पेट्रोल-डीजल की मूल्यवृद्धि का फैसला वापस लेने से जरूर किया है। लेकिन राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा है कि घटक दलों के दबाव को वह शायद ही नजरअंदाज कर सके।
अब आगे क्या?
पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने पर विपक्षी दलों के साथ सपा, बसपा और आरजेडी ने भी नाराजगी जताई है। ये तीनों दल सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। इन्होंने सरकार के खिलाफ मतदान की धमकी दी है। उधर, तृणमूल और डीएमके के भी मूल्यवृद्धि का विरोध करने से यूपीए के फ्लोर मैनेजरों का भरोसा डगमगाने लगा है। वे इन्हीं दोनों दलों के समर्थन पर बजट को मंजूरी दिलाने का यकीन पाले हैं।
बजट पर संसद का गणित
यदि सपा, बसपा और आरजेडी बजट प्रस्तावों का विरोध करने की धमकी पर कायम रहे तो भी सरकार 276 सांसदों (तृणमूल व डीएमके को मिलाकर) के समर्थन पर इसे पारित करवा सकती है। लेकिन यदि तृणमूल के 19 और डीएमके के 18 सदस्य मतदान में गैरमौजूद रहें तो बजट को मंजूरी नहीं मिल सकेगी। तब बहुमत के लिए जरूरी 272 की जादुई संख्या के बिना सरकार को इस्तीफा देना पड़ेगा। इसे देखते हुए कांग्रेस के फ्लोर मैनेजरों ने अन्य छोटे दलों व सांसदों के साथ जोड़-तोड़ शुरू कर दी है।