जर्मनी की निगाहें खिताबी हैट-ट्रिक पर, हॉल&#23

जर्मनी की निगाहें लगातार तीसरी बार वर्ल्ड कप हॉकी खिताब जीत कर हैट-ट्रिक बनाने पर हैं। जर्मनी की इस
हसरत पर पानी फेरने का दम उनके पूल 'ए' में हॉलैंड और पूल 'बी' ऑस्ट्रेलिया में ही नजर आता है। जर्मनी और हॉलैंड का पूल 'ए' से अंतिम चार में स्थान बनाने का दावा सबसे दमदार है। इस पूल में उलटफेर कर सकती है तो वह है साउथ कोरिया। कनाडा, अर्जेन्टीना और न्यू जीलैंड की टीमों में अंतिम चार में स्थान बनाने का दम नजर नहीं आता है।

जर्मनी फिर खिताब की दावेदार : जर्मनी की टीम की ताकत काउंटर अटैक और मजबूत डिफेंस है। जर्मनी 3-3-3-1 के फॉर्मेशन से खेलने में यकीन करती है। मौजूदा ओलिंपिक और पिछले दो बार की चैंपियन जर्मनी के पास विथायस मैथायस सरीखा हॉकी की कलाकारी दिखाने में माहिर खिलाड़ी है। उसके पास फ्लोरियन फुच सरीखा नौजवान खिलाड़ी भी है, जो अकेले दम अपनी टीम को जिताने का माद्दा रखता है। जर्मनी की एक बड़ी ताकत यह है कि वह एक बार बढ़त हासिल करने के बाद उसे बरकरार रखने में भी माहिर है। जर्मनी की टीम 1994 से अपने 30 वर्ल्ड कप मैचों में केवल तीन ही हारी है। जर्मनी की टीम मेजबान भारत, हॉलैंड, पाकिस्तान और स्पेन के साथ पांच ऐसे देशों में शामिल है, जिन्होंने 1971 में वर्ल्ड कप के आगाज के बाद से इसमें हर बार हिस्सा लिया है। पिछले दो बार की चैंपियन जर्मनी ने पिछले तीनों वर्ल्ड कप में मेडल अपने नाम किया है।

हॉलैंड, हम में भी है दम : हॉलैंड की ताकत भी जर्मनी की टीम की तरह उसका दमखम है। हॉलैंड की टीम 4-4-2 या 3-3-3-1 के फॉर्मेशन से ही खेलने में यकीन रखती है। इस बार हॉलैंड के कोच माइकल वान डेन हियुवेल को सबसे ज्यादा उम्मीद अपना चौथा वर्ल्ड कप खेलने वाले तियून द नूएर और ताके ताकेमा जैसे दुनिया के खतरनाक ड्रैग फ्लिकर से है। 34 बरस के नूएर काबढ़ती उम्र के साथ निशाना और पैना हुआ है। वह हॉलैंड की दो ओलिंपिक गोल्ड मेडल विजेता टीम में रहे हैं। यह वर्ल्ड कप उनके करियर का संभवत: आखिरी वर्ल्ड कप होगा। हॉलैंड के पास ताके ताकेमा के रूप में ऐसा खतरनाक ड्रैग फ्लिकर है जो मैच का रुख कभी भी मोड़ सकता है। हॉलैंड ने एम्सतलवीन (1973), लाहौर (1990) और उत्रेक्त (1998) में वर्ल्ड कप में खिताब जीता।

साउथ कोरिया : है कुछ चौंकाने का माद्दा
साउथ कोरिया की टीम ताकत उसके तेज हमले हैं। यदि दिन उसका रही तो वह किसी भी बड़ी टीम का दिन खराब कर सकती है। साउथ कोरिया की टीम 000 में सिडनी ओलिंपिक में जरूर उपविजेता रही। अपने स्ट्राइकर सियो जोंग हो पर निर्भर कर खेलने उतरेगी। ज्यादा उम्मीद यही है कि साउथ कोरिया पूल ए में तीसरे स्थान पर रहेगी। चुकी साउथ कोरिया की टीम 2002 और 2006 में एशियन गेम्स खिताब जीत चुकी है।

न्यू जीलैंड करेगी पहचान बनाने की कोशिश : न्यू जीलैंड की टीम हॉकी में फिर से पहचान बनाने की कोशिश में जुटी है। वह अपने पूल में जर्मनी, हॉलैंड और साउथ कोरिया को कड़ी टक्कर दे यही उसकी उपलब्धि होगी। न्यू जीलैंड की उम्मीदें अपने स्कीमर रेयन आर्चीबाल्ड पर रहेगी।

कनाडा से ज्यादा उम्मीद नहीं : कनाडा के पास भले ही रॉब शॉर्ट अनुभवी खिलाड़ी हो लेकिन उससे किसी बड़े उलटफेर की उम्मीद करना बेमानी होगा।

अर्जेन्टीना, चलो क्वॉलिफाई तो किया: अर्जेन्टीना की टीम वर्ल्ड कप के लिए क्वॉलिफाई करनी वाली अंतिम टीम रही। अर्जेन्टीना 1998 उत्रेक्त को छोड़कर अब तक हर वर्ल्ड कप के लिए क्वॉलिफाई करने में कामयाब रही है। उसका आक्रमण अनुभवी स्ट्राइकर मातियाज विला पर निर्भर करेगा।
 
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