Palang Tod
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कल क्या था ? मैं भी फालतू मे ही यह पुछ रहा हूँ ये तो सबको ही पता होगा, हाँ वसंत पंचमी कब है ये शायद ही किसी को पता हो । कल १४ फरवरी यानी वेलेन्टाइन डे । १४ फरवरी को पश्चिम देशों में युवक युवतियाँ एक दुसरे को ग्रीटिंग कार्ड , फूल , आदि देकर प्रेम के दिंन को उत्साह से मनाते हैं। यौन जीवन संबंधी परम्परागत नैतिक मूल्यो का त्याग करने वाले देशों की चारित्रिक सम्पदा नष्ट होने का मुख्य कारण ऐसे ही उल-जूलुल वेलेनटाइन डे है जो लोंगो को अनैतिक जीवन जीने को प्रोत्साहित करते हैं । इससे उन देशो का अधःपतन हुआ है । इससे जो समस्याएँ पैदा हुईं उसे मिटाने के लिए वहाँ की सरकारी स्कूलो में केवल सयंम अभियानों पर करोड़ो डालर खर्च करने पर भी सफलता नहीं मिलती । सबकुछ ऐसे ही चलता रहा तो ऐसी स्थिति भारत में भी पनपने में तनिक भी समय ना लगेगा । ये घटिया कुप्रथा अब हमारे देश मे भी तेजी से पैर पसार रही है । हमें अपने परम्परागत नैतिक मूल्यों की रक्षा करने के लिए इन सब कुप्रथा को अपने देश में पनपने से पहले मिटाना पड़ेगा , नहीं तो वही हाल होगा जो अभी पश्चिम देशो का हो रहा है ।
रोम के राजा क्लाडियस ब्रह्मचर्य की महिमां से परिचित रहें होंगे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिको को शादी करने के लिए मना किया था , ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें । सैनिकों को शादी करने के लिए जबरदस्ती मना किया गया था , इसलिए सन्त वेलेन्टाइन जो स्वयं इसाई पादरी होने के कारण ब्रह्मचर्य के विरोधी नहीं हो सकते थे , ने गु्प्त ढंग से उनकी शादियाँ करवाई । राजा ने उन्हे दोषी घोषित किया और उन्हे फाँसी दे दी गयी । सन् ४९६ से पोप गैलेसियस ने उनकी याद में वेलेन्टाइन डे मनाना शुरु किया ।
वहीं अगर देखा जाये वेलेन्टाइन डे मनाने वाले लोग सतं वेलेन्टाइन का अपमान ही करते है क्योंकि वे शादी से पहले ही अपने प्रेमास्पद को वेलेन्टाइन डे कार्ड भेजकर उनसे प्रणय संबंध बनाने की कोशिश करते है । यदि संत वेलेन्टाइन इससे सहमत होते तो वे शादियाँ करवाते ही नहीं।
प्रम दिवस के नाम पर विनाशकारि काम विकार विकास हो रहा है , जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन , डिप्रेशन, खोखलापन, जल्दी बुढापा और मौत लाने वाला होगा ।
रिपोर्ट कार्ड के अनुसार २८ बिकसित देशो में हर साल १३ से १९ वर्ष की १२ लाख ५० हजार किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं । उनमे से ५ लाख गर्भपात कराती है और ७ लाख ५० हजार कुवाँरी माँ बन जाती है । अमेरिका में हर साल ४ लाख ९४ हजार अनाथ बच्चे जन्म लेते हैं और तीस लाख किशोरियाँ यौन रोंगो का शिकार होती हैं ।यौन संबन्ध करने वालो में २५ प्रतिशत किशोर-किशोरियाँ यौन रोगो से पीड़ित हैं । असुरक्षित यौन संबन्ध करने वालो में ५० प्रतिशत को गोनोरिया ,३३ प्रतिशत को जैनिटल हार्पिस और एक प्रतिशत के एड्स के रोगी होने की संभावना है । एड्स के नये रोगियों मे २५ प्रतिशत वर्ष से छोटी उम्र के होते हैं । आज अमेरिका मे ३३ प्रतिशत स्कूलो में यौन शिक्षा के अन्तर्गत 'केवल सयंम की शिक्षा दी जाती है । इसके लिए अमरिका ४० करोड़ से अधिक डालर (२० अरब रुपयें ) खर्च किये हैं । प्रेम दिवस जरुर मनायें लेकिन प्रेमदिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए । युवक युवती मिलेंगे तो विनाश दिवस बनेगा। इस दिंन चाहिए कि माता पिता का पूजन करें तथा माता पिता अपने संतानो को प्रेम करें । इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा पाश्चात्य लोग विनाश की ओर जा रहे हैं , वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन रोगो का घर बना रहे हैं । तो हम इनका नकल क्यों करें , जिस गली जाना ही नहीं ऊधर देखना ही क्या
रोम के राजा क्लाडियस ब्रह्मचर्य की महिमां से परिचित रहें होंगे, इसलिए उन्होंने अपने सैनिको को शादी करने के लिए मना किया था , ताकि वे शारीरिक बल और मानसिक दक्षता से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकें । सैनिकों को शादी करने के लिए जबरदस्ती मना किया गया था , इसलिए सन्त वेलेन्टाइन जो स्वयं इसाई पादरी होने के कारण ब्रह्मचर्य के विरोधी नहीं हो सकते थे , ने गु्प्त ढंग से उनकी शादियाँ करवाई । राजा ने उन्हे दोषी घोषित किया और उन्हे फाँसी दे दी गयी । सन् ४९६ से पोप गैलेसियस ने उनकी याद में वेलेन्टाइन डे मनाना शुरु किया ।
वहीं अगर देखा जाये वेलेन्टाइन डे मनाने वाले लोग सतं वेलेन्टाइन का अपमान ही करते है क्योंकि वे शादी से पहले ही अपने प्रेमास्पद को वेलेन्टाइन डे कार्ड भेजकर उनसे प्रणय संबंध बनाने की कोशिश करते है । यदि संत वेलेन्टाइन इससे सहमत होते तो वे शादियाँ करवाते ही नहीं।
प्रम दिवस के नाम पर विनाशकारि काम विकार विकास हो रहा है , जो आगे चलकर चिड़चिड़ापन , डिप्रेशन, खोखलापन, जल्दी बुढापा और मौत लाने वाला होगा ।
रिपोर्ट कार्ड के अनुसार २८ बिकसित देशो में हर साल १३ से १९ वर्ष की १२ लाख ५० हजार किशोरियाँ गर्भवती हो जाती हैं । उनमे से ५ लाख गर्भपात कराती है और ७ लाख ५० हजार कुवाँरी माँ बन जाती है । अमेरिका में हर साल ४ लाख ९४ हजार अनाथ बच्चे जन्म लेते हैं और तीस लाख किशोरियाँ यौन रोंगो का शिकार होती हैं ।यौन संबन्ध करने वालो में २५ प्रतिशत किशोर-किशोरियाँ यौन रोगो से पीड़ित हैं । असुरक्षित यौन संबन्ध करने वालो में ५० प्रतिशत को गोनोरिया ,३३ प्रतिशत को जैनिटल हार्पिस और एक प्रतिशत के एड्स के रोगी होने की संभावना है । एड्स के नये रोगियों मे २५ प्रतिशत वर्ष से छोटी उम्र के होते हैं । आज अमेरिका मे ३३ प्रतिशत स्कूलो में यौन शिक्षा के अन्तर्गत 'केवल सयंम की शिक्षा दी जाती है । इसके लिए अमरिका ४० करोड़ से अधिक डालर (२० अरब रुपयें ) खर्च किये हैं । प्रेम दिवस जरुर मनायें लेकिन प्रेमदिवस में संयम और सच्चा विकास लाना चाहिए । युवक युवती मिलेंगे तो विनाश दिवस बनेगा। इस दिंन चाहिए कि माता पिता का पूजन करें तथा माता पिता अपने संतानो को प्रेम करें । इससे वास्तविक प्रेम का विकास होगा पाश्चात्य लोग विनाश की ओर जा रहे हैं , वे लोग ऐसे दिवस मनाकर यौन रोगो का घर बना रहे हैं । तो हम इनका नकल क्यों करें , जिस गली जाना ही नहीं ऊधर देखना ही क्या