Palang Tod
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चंडीगढ़. बरसात ने सांपों को बिलों से निकाल दिया है। किस्मतवाले रहे तो आपको भी इस व्हाइट ब्यूटी की झलक मिल सकती है। ये है एल्बिनो स्पेक्टैक्लड कोबरा। कुदरत के इस अनूठे जीव की खूबसूरती- सफेद-गुलाबी रंग ही इसकी मौत की वजह बन जाती है। छद्मावरण के अभाव में यह जंगल में खुद को अपने शिकारियों क्रेस्टेड सर्पेट ईगल, ईगल ऑउल्स, नेवलों और जंगली बिल्लियों से छुपा नहीं पाता। युवावस्था तक पहुंचने से पहले ही यह खूबसूरत शिकारी खुद शिकार बन जाता है।
इसे पिछले दिनों चंडीगढ़ के पास सिसवां के जंगलों में देखा गया। सांपों का जहर निकालने का काम करने वाले जगदीप सिंह शीना ने एक डेढ़ फुट लंबे युवा एल्बिनो कोबरा को सामान्य कोबरा के बीच पाया। शीना को इस एल्बिनो के बारे में तब पता चला जब वह पंजाब के जहरीले सांपों की मैपिंग कर रहे थे। शीना लांडरां के पास कम खर्च पर जहर निकालने का सेंटर स्थापित करना चाहते थे, लेकिन पंजाब फॉरेस्ट एंड वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से उनका सपना पूरा न हो सका।
शीना कहते हैं, ‘मेरी टीम अपने काम को अंजाम दे रही थी। तभी एक दिन फोन आया कि टीम को कोबरा के बच्चों के बीच एक एल्बिनो मिला है। मैंने उसकी कुछ तस्वीरें खींची। उसका रंग किसी गोरे इंसान की हथेली जैसा था। इसके बाद मेरी टीम पंजाब में कई जगह भटकती रही पर एल्बिनो फिर नहीं दिखा।’
मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट (एमसीबीटी) के असिस्टेंट क्यूरेटर सोहम मुखर्जी कहते हैं, भारत में एल्बिनो कोबरा बहुत ही कम पाए जाते हैं और ऐसे व्यस्क कोबरा का पाया जाना तो और भी अपवाद है, क्योंकि यह खुद को जंगल में छुपा नहीं पाते। इसका सफेद रंग पिगमेंटेशन में गड़बड़ी की वजह से होता है। इनमें उन सेल्स की कमी होती है जो मेलानिन पैदा करते हैं। मेलानिन से ही चमड़े का रंग गहरा होता है। कैद में एल्बिनो कोबरा 12 से 15 साल तक जिंदा रह सकते हैं।
एमसीबीटी ने एक छह साल के एल्बिनो कोबरा को रखा है, जिसका नाम गोया है। गोया श्रीलंका के जू से गिफ्ट के तौर पर आया था। मुखर्जी कहते हैं, ‘सामान्य कोबरा के मिलन से ही कभी-कभार अपवाद स्वरूप एल्बिनो जन्म लेता है। जोड़े में से एक एल्बिनो हुआ तो बच्चे के एल्बिनो होने की गुंजाइश कुछ बढ़ जाती है। हां, जोड़े के दोनों कोबरा एल्बिनो हैं, तो इसकी गुंजाइश काफी होती है।’
हालांकि इसकी खूबसूरती से धोखा खाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके जहर के दांत बरकरार हैं। इसके जहर में मौजूद न्यूरोटॉक्सिंस इंसान के सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करते हैं। देश में पाये जाने वाले चार कुख्यात जहरीले सांपों में से तीन- कोबरा, कॉमन करैत और रसल वाइपर चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं। वाइल्डलाइफ कंसर्वेशन सोसायटी के निखिल संगर कहते हैं उनका कई सांपों से पाला पड़ा है, पर आज तक एल्बिनो कोबरा नहीं देखा।
इसे पिछले दिनों चंडीगढ़ के पास सिसवां के जंगलों में देखा गया। सांपों का जहर निकालने का काम करने वाले जगदीप सिंह शीना ने एक डेढ़ फुट लंबे युवा एल्बिनो कोबरा को सामान्य कोबरा के बीच पाया। शीना को इस एल्बिनो के बारे में तब पता चला जब वह पंजाब के जहरीले सांपों की मैपिंग कर रहे थे। शीना लांडरां के पास कम खर्च पर जहर निकालने का सेंटर स्थापित करना चाहते थे, लेकिन पंजाब फॉरेस्ट एंड वाइल्डलाइफ डिपार्टमेंट में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से उनका सपना पूरा न हो सका।
शीना कहते हैं, ‘मेरी टीम अपने काम को अंजाम दे रही थी। तभी एक दिन फोन आया कि टीम को कोबरा के बच्चों के बीच एक एल्बिनो मिला है। मैंने उसकी कुछ तस्वीरें खींची। उसका रंग किसी गोरे इंसान की हथेली जैसा था। इसके बाद मेरी टीम पंजाब में कई जगह भटकती रही पर एल्बिनो फिर नहीं दिखा।’
मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट (एमसीबीटी) के असिस्टेंट क्यूरेटर सोहम मुखर्जी कहते हैं, भारत में एल्बिनो कोबरा बहुत ही कम पाए जाते हैं और ऐसे व्यस्क कोबरा का पाया जाना तो और भी अपवाद है, क्योंकि यह खुद को जंगल में छुपा नहीं पाते। इसका सफेद रंग पिगमेंटेशन में गड़बड़ी की वजह से होता है। इनमें उन सेल्स की कमी होती है जो मेलानिन पैदा करते हैं। मेलानिन से ही चमड़े का रंग गहरा होता है। कैद में एल्बिनो कोबरा 12 से 15 साल तक जिंदा रह सकते हैं।
एमसीबीटी ने एक छह साल के एल्बिनो कोबरा को रखा है, जिसका नाम गोया है। गोया श्रीलंका के जू से गिफ्ट के तौर पर आया था। मुखर्जी कहते हैं, ‘सामान्य कोबरा के मिलन से ही कभी-कभार अपवाद स्वरूप एल्बिनो जन्म लेता है। जोड़े में से एक एल्बिनो हुआ तो बच्चे के एल्बिनो होने की गुंजाइश कुछ बढ़ जाती है। हां, जोड़े के दोनों कोबरा एल्बिनो हैं, तो इसकी गुंजाइश काफी होती है।’
हालांकि इसकी खूबसूरती से धोखा खाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसके जहर के दांत बरकरार हैं। इसके जहर में मौजूद न्यूरोटॉक्सिंस इंसान के सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर हमला करते हैं। देश में पाये जाने वाले चार कुख्यात जहरीले सांपों में से तीन- कोबरा, कॉमन करैत और रसल वाइपर चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं। वाइल्डलाइफ कंसर्वेशन सोसायटी के निखिल संगर कहते हैं उनका कई सांपों से पाला पड़ा है, पर आज तक एल्बिनो कोबरा नहीं देखा।