Punjab News भूल बख्शवाओ और पंथ में वापस आओ!

अमृतसर. निष्कासित सिख भूल बख्शवा कर पंथ में वापस आ सकते हैं। पांचों तख्तों के सिंह साहिबान की रविवार को अकालतख्त सचिवालय पर हुई बैठक में यह फैसला किया गया। अकालतख्त के जत्थेदार गुरबचन सिंह ने कहा कि बंदा बहादुर की सरहिंद फतह की तीसरी शताब्दी की खुशी के उपलक्ष्य में निष्कासित सिखों को यह मौका प्रदान किया जा रहा है।

इस घोषणा से अकालतख्त के पूर्व जत्थेदार प्रो. दर्शन सिंह की वापसी का रास्ता भी साफ हो गया है। जत्थेदार ने कहा कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब में आस्था रखने वाला प्रत्येक सिख भूल बख्शवाते हुए पंथ में शामिल हो सकेगा।

इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया, इसमें निरंकारी व डेरा सच्च सौदा के प्रमुख संत गुरमीत राम रहीम सिंह शामिल नहीं हैं। यादगार की आड़ में राजनीति न करें :अकालतख्त के जत्थेदार गुरबचन सिंह ने सिख संगठनों से ब्ल्यू स्टार आपरेशन में मारे गए सिखों की याद में यादगार स्थापित करने को लेकर राजनीति न करने का संदेश दिया है।

इस संबंधी अकाल तख्त पर आयोजित कार्यक्रम में संगत के नाम जारी संदेश में जत्थेदार ने कहा कि शहीदों की वास्तविक यादगार उनके दिखाए मार्ग पर चलकर उनके द्वारा निर्धारित किए गए लक्ष्य की पूर्ति करना होता है न कि राजनीति करना। एसजीपीसी की ओर से घल्लूघारा दिवस अरदास दिवस के रूप में मनाया गया। इस मौके पर एसजीपीसी प्रधान अवतार सिंह मक्कड़, भाई हरनाम सिंह खालसा, शिअद (पंच प्रधानी) के पदाधिकारी हरपाल सिंह चीमा आदि मौजूद थे।

मान ने की नारेबाजी

जत्थेदार गुरबचन सिंह की ओर से श्री दरबार साहिब परिसर में किसी भी तरह की नारेबाजी न करने की अपील के बावजूद शिअद (अमृतसर) के प्रधान सिमरनजीत सिंह मान ने खुद खालिस्तान के पक्ष में नारेबाजी करते हुए खालसा राज स्थापित करने का आह्वान किया। इस मौके सादी वर्दी में पुलिसकर्मी व सुरक्षा एजैंसियों के अधिकारी मौजूद थे, जो पूरे घटनाक्रम पर निगाह रखे हुए थे।

हॉल में नहीं हो सकती शादी

जत्थेदार ने गुरु की गोलक से तैयार हाल में विवाह समारोह के आयोजन और नशे व तंबाकू के सेवन पर पाबंदी लगा दी है। जत्थेदार को दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी के अधीन चल रहे गुरुद्वारा रकाब गंज के लक्खीशाह वणजारा हाल में हो रही अनियमितताओं की शिकायत मिली थी। जत्थेदार ने इसके प्रधान परमजीत सिंह सरना से स्पष्टीकरण भी मांगा था। सरना की ओर से स्पष्टीकरण भेजने के बाद अब जत्थेदार ने ये दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

जत्थेदार ने श्री दशम ग्रंथ के पक्ष अथवा विरोध में प्रचार करने पर भी पाबंदी लगा दी है। उन्होंने कहा कि जब तक इस मसले पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो जाता तब तक पाबंदी जारी रहेगी। सिंह साहिबान ने अकालतख्त के विचार के लिए पहुंचे धार्मिक मसलों पर फैसले की जिम्मेदारी एसजीपीसी की धर्म प्रचार कमेटी को सौंप दी है। जत्थेदार ने कहा कि भविष्य में ऐसे छुटपुट मसलों पर धर्म प्रचार कमेटी ही फैसला लिया करेगी।
 
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