Punjab News ..कोहिनूर से दमकेगा श्री दरबार साहिब ?

सदियों तक बर्तानवी महारानी एलिजाबेथ के मुकुट में सजा भारत की शान कोहिनूर हीरा अब श्री हरिमंदिर साहिब की शोभा बढ़ाएगा। इसकी वापसी की चर्चा तेज होने के साथ ही यह भी मांग उठ रही है कि महाराजा रणजीत सिंह के शासन समाप्ति के बाद बर्तानवी सरकार द्वारा लूटी गई धरोहरों पर भारत सरकार दावेदारी जताए। महाराजा के वारिसों ने ऐलान किया है कि अगर कोहिनूर वापस आया तो उसे श्री हरिमंदिर साहिब को भेंट किया जाएगा।

कोहिनूर पर महाराजा के वारिशों का ही पहला हक है। उनकी छठी पीढ़ी के वंशज कंवर करविंदर पाल सिंह तथा कंवर मीतपाल सिंह ने शनिवार को खुलासा किया कि अमरीका ने जिस तरीके से दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मिस्र व इटली की लूटी घरोहरें वापस की हैं, उसी तर्ज पर ब्रिटेन सिख साम्राज्य की कब्जाई वस्तुएं भी वापस करे। कस्बा अटारी में रह रहे महाराजा की पीढ़ी के महाराजा शेर सिंह के वारिस कहे जाने वाले उक्त लोगों ने बताया कि लंबे समय से सिख संपत्ति तथा कोहिनूर हीरे की वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं।

21 मार्च 2001 को उक्त लोगों ने इंग्लैंड की महारानी एलिजावेथ-2 को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा था। इसकी प्रतिक्रिया में महारानी ने वर्मिघम पैलेस के लैटर पैड पर पत्र लिख कर उन लोगों को आश्वासन दिया था कि उनकी मांग पर गंभीरता से गौर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि अंग्रेजों द्वारा पंजाब को कब्जे में लेने के बाद 1852 में नाबालिग महाराजा दलीप सिंह पर दबाव बनाकर 1849 में हीरे को इंग्लैंड की महारानी को भेंट करवाया था। इसके साथ ही उनकी सारी संपत्ति भी जब्त कर ली गई थी।

उक्त लोगों ने बताया कि लार्ड डल्हौजी ने डा. लोगन को शाही किले में तैनात करवाकर महाराजा के खालसा दरबार के तोषाखाना में मौजूद हीरे-जवाहरात, गहने की फेहरिस्त तैयार करवाई थी और सारा सामान अपने साथ ले गया था। शेर सिंह की पत्नी रानी धर्म कौर रंधावी के जेवरों की लिस्ट भी लोगन ने तैयार की थी। उसकी नकल 13 अप्रैल 1870 में लाहौर के डीसी ने रानी के वारिसों को सौंपी थी, जो आज भी उनके पास मौजूद है।

उन्होंने बताया कि यूनेस्को की तरफ से हीरे समेत अन्य संपत्तियों की वापसी पर जोर दिया जा रहा है। जल्द ही वे अपना पक्ष ब्रिटिश सरकार के समक्ष रखेंगे। उन्होंने बताया कि भारत सरकार अन्य संपत्तियों के लिए दावा जताए। रही हीरे के बात तो यह उसके वारिसों को मिलना चाहिए। ऐसा होते ही इसे कौम की संपत्ति समझते हुए श्री हरिमंदिर साहिब को भेंट कर दिया जाएगा।
 
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