Palang Tod
VIP
पिछले कुछ महीनों में ही पंजाब पुलिस ने बब्बर खालसा और खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के कई आतंकियों को गिरफ्तार कि या है। बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है। इंटेलीजेंस की रिपोर्ट कह रही है कि पाकिस्तान से कनाडा तक पंजाब में अलगाव फैलाने वालों का नेटवर्क है और इसके लिए बाकायदा ऑनलाइन प्रचार चल रहा है कि कैसे पंजाब को फिर से नब्बे के दशक के आतंकवाद वाले दौर में वापस लाया जाया। करीब 12 साल तक चले आतंक के दौर ने करीब 24 हजार लोगों की जानें ली। राज्य की अर्थव्यवस्था बद से बदतर हो गई, बमुश्किल राज्य में शांति का दौर लौटा। लेकिन क्या पंजाब में आतंकवाद फिर चुपके से दस्तक दे रहा है।
31 जनवरी 2008 को सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल का अध्यक्ष पद संभाला था। इसके ठीक चार दिन बाद 4 फरवरी 2008 को डेरा सच्च सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के काफिले पर हमला हुआ। करनाल में हुए इस हमले के बाद फौरन सीएम प्रकाश सिंह बादल और डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने कहा ,‘ पंजाब में आतंकवाद को फिर से सिर नहीं उठाने दिया जाएगा, अमन और कानून व्यवस्था को हर कीमत पर बरकरार रखा जाएगा’। राज्य सरकार ने डेरा प्रमुख पर हमले की घटना को गंभीरता से लिया और इसके पीछे खालिस्तानी बख्शीश सिंह का हाथ बताया गया।
18 मई 2010 को दो साल से ज्यादा गुजर चुके थे। लेकिन सुखबीर सिंह बादल को जलालाबाद में फिर लोगों को यकीन दिलाना पड़ रहा था कि राज्य में आतंकवाद को दोबारा सिर नहीं उठाने दिया जाएगा,इसके लिए सरकार एक मास्टर प्लान तैयार कर रही है’। यानी सुखबीर खुद भी मानते हैं कि पंजाब में आतंकवाद फिर से सर उठाने की कोशिश कर रहा है और दो साल बाद भी आतंकवाद को लेकर उनकी चिंता जस की तस है।सरकार लोगों को यकीन दिलाने में जुटी है कि पंजाब पुलिस आतंकी घटनाओं से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। महानगरों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। लेकिन यकीन दिलाने की ये कोशिश और शक पैदा करती है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। इंटेलीजेंस रिपोर्टो के मुताबिक पाकिस्तान से लेकर कनाडा तक के कट्टरपंथी पंजाब को एक बार फिर उग्रवाद की आग में झोंकने के मंसूबे बना रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में पंजाब या पड़ोसी राज्यों में हुई सिलसिले वार घटनाएं भी इन आकलनों को पुख्ता करती हैं।
गुरुदासपुर की घटना और पाक फैक्टर
24 अप्रैल को नरोट जैमल सिंह में भारी गोलीबारी के बाद दो पाकिस्तानी घुसपैठियों को पंजाब पुलिस ने मार गिराया। मुठभेड़ में दो पुलिस वाले भी शहीद हुए। पाकिस्तानी घुसपैठियों के पंजाब में घुस आने पर बीएसएफ की टिप्पणी थी कि 19 अप्रैल को पाकिस्तान की ओर से राकेट दागे जाने के बाद पैदा हुई अफरातफरी का फायदा उठाकर ये भारत में प्रवेश कर गए थे। भारत पाक सीमा पर बिजली करंट वाली तारों की बाड़ लगी है। जाहिर है कि बिना पाक रेंजरों की मदद के सीमा पार कर पाना नामुमकिन है।
पाक आतंकवादियों ने पंजाब में इस तरह घुसने की कोशिश पहली बार की है। मतलब पंजाब में आतंकवाद की वापसी की कोशिशों के पीछे पुख्ता पाकिस्तानी फैक्टर है। इस घटना का संबध खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के रणजीत सिंह नीटा से जोड़ा जा रहा है। नीटा इन दिनों पाकिस्तान में है और आईएसआई की मदद से पंजाब में फिर से आतंक फैलाने की फिराक में है। सिक्योरिटी एक्सपर्ट कश्मीर में सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन को भी नीटा का मददगार बता रहे हैं।
इंटेलीजेंस रिपोर्ट तो लश्कर और खालिस्तान सर्मथकों के बीच एक पुख्ता गठजोड़ की बात कर रही हैं। पाकिस्तान के साथ साथ खालिस्तान सर्मथक कनाडा, इंग्लैंड और जर्मनी में भी सक्रिय हैं। पंजाब पुलिस भी इस बात की तस्दीक करती है कि कनाडा,ब्रिटेन और अमेरिका में बैठे तमाम लोग सिख अलगाववाद का ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं।
इंसाफ की आड़ में अलगाव का खेल
हाल ही में ब्रम्पटन और ओंटारियो के गुरुद्वारों में सिख समुदाय के लोगों के बीच हुई हिंसक घटनाएं पंजाब में भी चर्चा में रहीं हैं। माना जा चुका है कि पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट का अब कोई वजूद नहीं है। लेकिन विदेशों में बैठे खालिस्तान सर्मथक पूरी उम्मीद में हैं कि वो लहर कभी तो आएगी। इसके लिए उनके पास सबसे मजबूत आधार है 1984 के सिख विरोधी दंगे। पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के बहाने खालिस्तान समर्थन का आधार तलाश जा रहा है। वहां की सरकार इस तरह के अभियानों और हिंसक घटनाओं को ज्यादा अहमियत इसलिए नहीं देती कि मामला दो पक्षों का है जो कम से कम उनके देश के लिए कोई खतरा नहीं है।
और भी बहुत कुछ साथ गया है
ग्रामीण पंजाब से निकलकर कनाडा के ओंटारियो या ब्रिटिश कोलंबिया की शहरी आबादी में जा बसी सिख कम्युनिटी भारतीय राजनीति व धार्मिक मान्यताएं भी अपने साथ ले गई है। इसमें तमाम सदमें भी हैं जो उन्होंने भारत में झेले। मसलन 1984 के दंगे, श्री दरबार साहिब पर हमला और डेरावाद का बढ़ता प्रभाव। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार इस समस्या को इस रुप में देखती हैं,ऐसा नहीं लगता।
खतरे भी ग्लोबल हैं
पंजाब में होनी वाली हर घटना का विदेशों में और विदेश की घटना का पंजाब में असर साफ देखा जाता है। कनाडा और ब्रिटिश कोलंबिया में कारोबारी तौर पर सफल हो चुके सिखों ने वहां भव्य गुरुद्वारे बनाए हैं। वहां चढ़ावा भी काफी चढ़ता है। धार्मिक केंद्र राजनीति को भी प्रभावित करते हैं और सिख धर्म और राजनीति तो वैसे भी कदमताल करके चलती है।
ब्रम्पटन के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे में कब्जे को लेकर लोहे की रॉड, कुल्हाड़ियों और तलवारों से टक्कर है उन लोगों की टक्कर है जो यहां के गुरुद्वारों पर कब्जे को लेकर पहले भी टकराते रहे हैं। लेकिन इसका असर पंजाब में भी पड़ता है। ब्रम्पटन के गुरुद्वारे में सिख लहर में धर्मच्युत किए जा चुके पूर्व अकाल तख्त जत्थेदार दर्शन सिंह को बोलने की इजाजत देने के लिए एक वकील को तलवार से घायल कर दिया गया। पंजाब में इसका असर ये पड़ा कि दर्शन सिंह को श्री अकाल तख्त पर तलब किया गया। विवाद कम होने की बजाए बढ़ गया। जो लोग इन घटनाओं के पीछे हैं वे समय मिलते ही पंजाब के माहौल को गर्म करने में सरगर्म हो जाते हैं।
इंटरनेट और इलेक्शन
चुनाव के दौरान जब कनैडियन सिख पंजाब में प्रचार के लिए आते हैं तो उनके भाषणों में साफ नजर आता है कि पंजाब की मौजूदा सियासत से वह नाखुश हैं। वे मानते हैं कि ये सिख धर्म के लिए घातक है। एक बात और जो पंजाब की आबोहवा के लिए घातक सिद्ध हो रही है वह है ऑन लाइन प्रचार। जो सिख युवा कनाडा या ब्रिटिश कोलंबिया में पैदा हुए हैं, और जिन्होंने कभी पंजाब की सर जमीं पर पांव तक नहीं रखा,वे खालिस्तानी समर्थकों के प्रभाव तले आकर एक ऑन लाइन जेहाद छेड़े हुए हैं। पंजाब में होने वाली हर घटना को बढ़ा चढ़ाकर और भड़काऊ भाष में लिखकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। बहरहाल सरकार की तरफ से न तो कोई कदम उठाया जा रहा है और न ही इसका नोटिस लिया जा रहा है।
ऑस्ट्रिया में संत रामानंद की हत्या
25 मई 2009 को विएना में रविदासी समुदाय के जालंधर स्थित डेरा सचखंड बल्लां के बाबा रामानंद की हत्या कर दी गई। गोलीबारी और तेजधार हथियारों से हुई लड़ाई में 30 लोग घायल हो गए। घटना आस्ट्रिया में घटी लेकिन असर पंजाब हुआ। क्या ये सिर्फ संयोग है कि घटना के तुरंत बाद यूके से संचालित होने वाले आकाश रेडियो के प्रसारण में कहा गया कि खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स ने हत्या की जिम्मेदारी ली है। इसके तुरंत बाद पंजाब में दंगे फैल गए, कुछ लोगों की जान भी गई।
जालंधर शहर बुरी तरह जल उठा। लेकिन बाद केजेडएफ ने रेडियो पर प्रसारित बयान का खंडन किया और कहा कि कहा कि वे इस घटना की निंदा करते हैं। बब्बर खालसा ने भी संत रामानंद की हत्या की निंदा की। विएना पुलिस ने भी कहा कि घटना में कोई पंजाबी शामिल नहीं है। लेकिन वह कौन सी ताकतें है जो विदेश में घटी घटना को पंजाब का माहौल खराब करने के लिए इसतेमाल करती हैं।
जिन पर है निशाना
इंटेलीजेंस की सूचना है कि पंजाब में आतंक फैलाने के लिए सबसे पहले धार्मिक नेताओं को चुना गया है। इनमें गुरमीत राम रहीम, प्यारा सिंह भनियारा वाला और ऐसे ही कुछ और डेरों के धार्मिक नेता निशाने पर हैं। प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को भी आतंकी अपनी राह में रोड़ा समझते हैं। कुछ इसी तरह का ख्याल स्वर्गीय मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के परिवार बारे भी है।
घटनाएं जो सवाल उठाती हैं
जनवरी, 2010
पटियाला के नाभा स्थित इंडियन ऑयल के एलपीजी बाटलिंग प्लांट के पास कई किलो विस्फोटक सामग्री मिली। इसके ठीक पांच दिन बाद जीरकपुर स्थित इंडियन एअरफोर्स क्षेत्र के बाहर दो ग्रेनेड मिले। इससे पहले लुधियाना जिले के हलवारा स्थित एअरफोर्स स्टेशन के बाहर एक कार में विस्फोटक मिले थे।
22 फरवरी, 2010
इंटेलीजेंस की सूचना, पाक स्थित सिख अलगाववादी बब्बर खालसा इंटरनेशनल अमेरिका व भारत के युवाओं को भर्ती कर रहा है ताकि उग्रवाद को फिर जीवित किया जा सके। पंजाब पुलिस से वीआइपी सिक्योरिटी बढ़ाने को कहा गया। आशंका जाहिर की गई कि आतंकी नंगल डैम, रोपड़, पठानकोट और लुधियाना के रेलवे स्टेशनों पर अटैक कर सकते हैं। फरवरी में ही दो व्यक्तिओं को पटियाला से गिरफ्तार किया गया, उनके पास से 8 किलो एक्सप्लोजिव और 40 जिलेटिन की स्टिक्स मिली।
21 मार्च, 2010
पंजाब व दिल्ली पुलिस के संयुक्त अभियान के तहत आईएसआई ट्रेंड बब्बर खालसा इंटरनेशनल के तीन आतंकी दिल्ली और पंजाब से गिरफ्तार किए गए।
2 मई,2010
इंटेलीजेंस की सूचना पर पंजाब पुलिस ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के आतंकी निर्मल सिंह निम्मा को कोटकपूरा से गिरफ्तार किया।
8 मई,2010
अमृतसर में रेलवे स्टेशन के पास एक कार से दो किलो धमाकाखेज सामग्री और एक डेटोनेटर मिला। पुलिस का शक बब्बर खालसा इंटरनेशनल और केजेडएफ पर।
10 मई, 2010
सुरक्षा एजेंसियों की सूचना पर कि जम्मू कश्मीर की तरफ से कुछ आतंकी पंजाब व हिमाचल में प्रवेश कर सकते हैं। पंजाब व चंबा में हाई अलर्ट घोषित।
नवंबर 2009
फिरोजपुर से पकड़े गए सुखविंदर सिंह के पास से पांच एके 56 और 11 किलो हेरोइन मिली। वैसे ये शख्स शिरोमणि अकाली दल से संबंधित है और गांव का सरपंच है। आरोप है कि ये हथियार गुरमीत राम रहीम की हत्या के लिए प्रयोग किए जाने थे। सुखविंदर को ये काम केजेडएफ के रणजीत सिंह नीटा ने सौंपा था।
31 जनवरी 2008 को सुखबीर सिंह बादल ने शिरोमणि अकाली दल का अध्यक्ष पद संभाला था। इसके ठीक चार दिन बाद 4 फरवरी 2008 को डेरा सच्च सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के काफिले पर हमला हुआ। करनाल में हुए इस हमले के बाद फौरन सीएम प्रकाश सिंह बादल और डिप्टी सीएम सुखबीर बादल ने कहा ,‘ पंजाब में आतंकवाद को फिर से सिर नहीं उठाने दिया जाएगा, अमन और कानून व्यवस्था को हर कीमत पर बरकरार रखा जाएगा’। राज्य सरकार ने डेरा प्रमुख पर हमले की घटना को गंभीरता से लिया और इसके पीछे खालिस्तानी बख्शीश सिंह का हाथ बताया गया।
18 मई 2010 को दो साल से ज्यादा गुजर चुके थे। लेकिन सुखबीर सिंह बादल को जलालाबाद में फिर लोगों को यकीन दिलाना पड़ रहा था कि राज्य में आतंकवाद को दोबारा सिर नहीं उठाने दिया जाएगा,इसके लिए सरकार एक मास्टर प्लान तैयार कर रही है’। यानी सुखबीर खुद भी मानते हैं कि पंजाब में आतंकवाद फिर से सर उठाने की कोशिश कर रहा है और दो साल बाद भी आतंकवाद को लेकर उनकी चिंता जस की तस है।सरकार लोगों को यकीन दिलाने में जुटी है कि पंजाब पुलिस आतंकी घटनाओं से निपटने में पूरी तरह सक्षम है। महानगरों और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे। लेकिन यकीन दिलाने की ये कोशिश और शक पैदा करती है कि कहीं न कहीं कुछ गड़बड़ है। इंटेलीजेंस रिपोर्टो के मुताबिक पाकिस्तान से लेकर कनाडा तक के कट्टरपंथी पंजाब को एक बार फिर उग्रवाद की आग में झोंकने के मंसूबे बना रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में पंजाब या पड़ोसी राज्यों में हुई सिलसिले वार घटनाएं भी इन आकलनों को पुख्ता करती हैं।
गुरुदासपुर की घटना और पाक फैक्टर
24 अप्रैल को नरोट जैमल सिंह में भारी गोलीबारी के बाद दो पाकिस्तानी घुसपैठियों को पंजाब पुलिस ने मार गिराया। मुठभेड़ में दो पुलिस वाले भी शहीद हुए। पाकिस्तानी घुसपैठियों के पंजाब में घुस आने पर बीएसएफ की टिप्पणी थी कि 19 अप्रैल को पाकिस्तान की ओर से राकेट दागे जाने के बाद पैदा हुई अफरातफरी का फायदा उठाकर ये भारत में प्रवेश कर गए थे। भारत पाक सीमा पर बिजली करंट वाली तारों की बाड़ लगी है। जाहिर है कि बिना पाक रेंजरों की मदद के सीमा पार कर पाना नामुमकिन है।
पाक आतंकवादियों ने पंजाब में इस तरह घुसने की कोशिश पहली बार की है। मतलब पंजाब में आतंकवाद की वापसी की कोशिशों के पीछे पुख्ता पाकिस्तानी फैक्टर है। इस घटना का संबध खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के रणजीत सिंह नीटा से जोड़ा जा रहा है। नीटा इन दिनों पाकिस्तान में है और आईएसआई की मदद से पंजाब में फिर से आतंक फैलाने की फिराक में है। सिक्योरिटी एक्सपर्ट कश्मीर में सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन को भी नीटा का मददगार बता रहे हैं।
इंटेलीजेंस रिपोर्ट तो लश्कर और खालिस्तान सर्मथकों के बीच एक पुख्ता गठजोड़ की बात कर रही हैं। पाकिस्तान के साथ साथ खालिस्तान सर्मथक कनाडा, इंग्लैंड और जर्मनी में भी सक्रिय हैं। पंजाब पुलिस भी इस बात की तस्दीक करती है कि कनाडा,ब्रिटेन और अमेरिका में बैठे तमाम लोग सिख अलगाववाद का ब्लू प्रिंट तैयार कर रहे हैं।
इंसाफ की आड़ में अलगाव का खेल
हाल ही में ब्रम्पटन और ओंटारियो के गुरुद्वारों में सिख समुदाय के लोगों के बीच हुई हिंसक घटनाएं पंजाब में भी चर्चा में रहीं हैं। माना जा चुका है कि पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट का अब कोई वजूद नहीं है। लेकिन विदेशों में बैठे खालिस्तान सर्मथक पूरी उम्मीद में हैं कि वो लहर कभी तो आएगी। इसके लिए उनके पास सबसे मजबूत आधार है 1984 के सिख विरोधी दंगे। पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के बहाने खालिस्तान समर्थन का आधार तलाश जा रहा है। वहां की सरकार इस तरह के अभियानों और हिंसक घटनाओं को ज्यादा अहमियत इसलिए नहीं देती कि मामला दो पक्षों का है जो कम से कम उनके देश के लिए कोई खतरा नहीं है।
और भी बहुत कुछ साथ गया है
ग्रामीण पंजाब से निकलकर कनाडा के ओंटारियो या ब्रिटिश कोलंबिया की शहरी आबादी में जा बसी सिख कम्युनिटी भारतीय राजनीति व धार्मिक मान्यताएं भी अपने साथ ले गई है। इसमें तमाम सदमें भी हैं जो उन्होंने भारत में झेले। मसलन 1984 के दंगे, श्री दरबार साहिब पर हमला और डेरावाद का बढ़ता प्रभाव। लेकिन केंद्र और राज्य सरकार इस समस्या को इस रुप में देखती हैं,ऐसा नहीं लगता।
खतरे भी ग्लोबल हैं
पंजाब में होनी वाली हर घटना का विदेशों में और विदेश की घटना का पंजाब में असर साफ देखा जाता है। कनाडा और ब्रिटिश कोलंबिया में कारोबारी तौर पर सफल हो चुके सिखों ने वहां भव्य गुरुद्वारे बनाए हैं। वहां चढ़ावा भी काफी चढ़ता है। धार्मिक केंद्र राजनीति को भी प्रभावित करते हैं और सिख धर्म और राजनीति तो वैसे भी कदमताल करके चलती है।
ब्रम्पटन के गुरु नानक सिख गुरुद्वारे में कब्जे को लेकर लोहे की रॉड, कुल्हाड़ियों और तलवारों से टक्कर है उन लोगों की टक्कर है जो यहां के गुरुद्वारों पर कब्जे को लेकर पहले भी टकराते रहे हैं। लेकिन इसका असर पंजाब में भी पड़ता है। ब्रम्पटन के गुरुद्वारे में सिख लहर में धर्मच्युत किए जा चुके पूर्व अकाल तख्त जत्थेदार दर्शन सिंह को बोलने की इजाजत देने के लिए एक वकील को तलवार से घायल कर दिया गया। पंजाब में इसका असर ये पड़ा कि दर्शन सिंह को श्री अकाल तख्त पर तलब किया गया। विवाद कम होने की बजाए बढ़ गया। जो लोग इन घटनाओं के पीछे हैं वे समय मिलते ही पंजाब के माहौल को गर्म करने में सरगर्म हो जाते हैं।
इंटरनेट और इलेक्शन
चुनाव के दौरान जब कनैडियन सिख पंजाब में प्रचार के लिए आते हैं तो उनके भाषणों में साफ नजर आता है कि पंजाब की मौजूदा सियासत से वह नाखुश हैं। वे मानते हैं कि ये सिख धर्म के लिए घातक है। एक बात और जो पंजाब की आबोहवा के लिए घातक सिद्ध हो रही है वह है ऑन लाइन प्रचार। जो सिख युवा कनाडा या ब्रिटिश कोलंबिया में पैदा हुए हैं, और जिन्होंने कभी पंजाब की सर जमीं पर पांव तक नहीं रखा,वे खालिस्तानी समर्थकों के प्रभाव तले आकर एक ऑन लाइन जेहाद छेड़े हुए हैं। पंजाब में होने वाली हर घटना को बढ़ा चढ़ाकर और भड़काऊ भाष में लिखकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। बहरहाल सरकार की तरफ से न तो कोई कदम उठाया जा रहा है और न ही इसका नोटिस लिया जा रहा है।
ऑस्ट्रिया में संत रामानंद की हत्या
25 मई 2009 को विएना में रविदासी समुदाय के जालंधर स्थित डेरा सचखंड बल्लां के बाबा रामानंद की हत्या कर दी गई। गोलीबारी और तेजधार हथियारों से हुई लड़ाई में 30 लोग घायल हो गए। घटना आस्ट्रिया में घटी लेकिन असर पंजाब हुआ। क्या ये सिर्फ संयोग है कि घटना के तुरंत बाद यूके से संचालित होने वाले आकाश रेडियो के प्रसारण में कहा गया कि खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स ने हत्या की जिम्मेदारी ली है। इसके तुरंत बाद पंजाब में दंगे फैल गए, कुछ लोगों की जान भी गई।
जालंधर शहर बुरी तरह जल उठा। लेकिन बाद केजेडएफ ने रेडियो पर प्रसारित बयान का खंडन किया और कहा कि कहा कि वे इस घटना की निंदा करते हैं। बब्बर खालसा ने भी संत रामानंद की हत्या की निंदा की। विएना पुलिस ने भी कहा कि घटना में कोई पंजाबी शामिल नहीं है। लेकिन वह कौन सी ताकतें है जो विदेश में घटी घटना को पंजाब का माहौल खराब करने के लिए इसतेमाल करती हैं।
जिन पर है निशाना
इंटेलीजेंस की सूचना है कि पंजाब में आतंक फैलाने के लिए सबसे पहले धार्मिक नेताओं को चुना गया है। इनमें गुरमीत राम रहीम, प्यारा सिंह भनियारा वाला और ऐसे ही कुछ और डेरों के धार्मिक नेता निशाने पर हैं। प्रकाश सिंह बादल और उनके परिवार को भी आतंकी अपनी राह में रोड़ा समझते हैं। कुछ इसी तरह का ख्याल स्वर्गीय मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के परिवार बारे भी है।
घटनाएं जो सवाल उठाती हैं
जनवरी, 2010
पटियाला के नाभा स्थित इंडियन ऑयल के एलपीजी बाटलिंग प्लांट के पास कई किलो विस्फोटक सामग्री मिली। इसके ठीक पांच दिन बाद जीरकपुर स्थित इंडियन एअरफोर्स क्षेत्र के बाहर दो ग्रेनेड मिले। इससे पहले लुधियाना जिले के हलवारा स्थित एअरफोर्स स्टेशन के बाहर एक कार में विस्फोटक मिले थे।
22 फरवरी, 2010
इंटेलीजेंस की सूचना, पाक स्थित सिख अलगाववादी बब्बर खालसा इंटरनेशनल अमेरिका व भारत के युवाओं को भर्ती कर रहा है ताकि उग्रवाद को फिर जीवित किया जा सके। पंजाब पुलिस से वीआइपी सिक्योरिटी बढ़ाने को कहा गया। आशंका जाहिर की गई कि आतंकी नंगल डैम, रोपड़, पठानकोट और लुधियाना के रेलवे स्टेशनों पर अटैक कर सकते हैं। फरवरी में ही दो व्यक्तिओं को पटियाला से गिरफ्तार किया गया, उनके पास से 8 किलो एक्सप्लोजिव और 40 जिलेटिन की स्टिक्स मिली।
21 मार्च, 2010
पंजाब व दिल्ली पुलिस के संयुक्त अभियान के तहत आईएसआई ट्रेंड बब्बर खालसा इंटरनेशनल के तीन आतंकी दिल्ली और पंजाब से गिरफ्तार किए गए।
2 मई,2010
इंटेलीजेंस की सूचना पर पंजाब पुलिस ने खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के आतंकी निर्मल सिंह निम्मा को कोटकपूरा से गिरफ्तार किया।
8 मई,2010
अमृतसर में रेलवे स्टेशन के पास एक कार से दो किलो धमाकाखेज सामग्री और एक डेटोनेटर मिला। पुलिस का शक बब्बर खालसा इंटरनेशनल और केजेडएफ पर।
10 मई, 2010
सुरक्षा एजेंसियों की सूचना पर कि जम्मू कश्मीर की तरफ से कुछ आतंकी पंजाब व हिमाचल में प्रवेश कर सकते हैं। पंजाब व चंबा में हाई अलर्ट घोषित।
नवंबर 2009
फिरोजपुर से पकड़े गए सुखविंदर सिंह के पास से पांच एके 56 और 11 किलो हेरोइन मिली। वैसे ये शख्स शिरोमणि अकाली दल से संबंधित है और गांव का सरपंच है। आरोप है कि ये हथियार गुरमीत राम रहीम की हत्या के लिए प्रयोग किए जाने थे। सुखविंदर को ये काम केजेडएफ के रणजीत सिंह नीटा ने सौंपा था।