Punjab News छड्ड यार, लड़ाई-लड़ाई माफ करो

जो हुआ सो हुआ, अब एक-दूसरे को माफ कर दो, हाथ मिलाओ और दोस्त बन जाओ। सुलह का यही पुराना तरीका नए अंदाज में अपनाने की तैयारी में हैं पंजाब के राजनेता। विधानसभा में इस पर चर्चा हो चुकी है और अब इंतजार है एडवोकेट जनरल एचएस मत्तेवाल की राय का। कैसे शुरू हुआ मामला और कहां इसका क्या असर होगा, इसी पर पढ़िए यह रिपोर्ट..


पंजाब विधानसभा 26 मार्च को एक बार फिर से ऐतिहासिक फैसला ले सकती है, लेकिन इतिहास दोहराना इतना आसान भी नहीं है। बेशक अकाली दल और कांग्रेस के ज्यादातर नेता इस बात पर सहमत हैं कि सियासत के चलते एक दूसरे पर दर्ज मामले वापस होने चाहिए। लेकिन ये सब जितना आसान लग रहा है़, उतना है नहीं। खुद नेताओं के बीच इस पर मतभेद शुरू हो गए हैं।


कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि हमें कोई चैरिटी नहीं चाहिए, कानून अपना काम करेगा। इसी के साथ कांग्रेस का कैप्टन खेमा पलटी मार रहा है और सदन में विपक्ष की नेता बीबी राजिंदर कौर भट्ठल भी कह रही हैं कि केवल वही केस वापस हों जो राजनीतिक रंजिश के कारण से दर्ज किए गए हैं। हालांकि जब केस वापसी का प्रस्ताव सदन में आया तो उन्होंने इसका समर्थन किया था। कांग्रेसी विधायक अवतार बराड़ राजनीतिक माहौल को सौहार्दपूर्ण बनाने को लेकर मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से मिलना तक चाहते थे। बाद में हालत यह हुई कि आमराय में सुर मिलाने वाले कुछ लोग दूसरा राग लेकर बैठ गए। इसी मुद्दे पर भाजपा विधायक दल के नेता मनोरंजन कालिया पहले ही कह चुके हैं कि केस वापस लेने में तमाम कानूनी अड़चनें हैं, इसलिए एडवोकेट जनरल की राय ली जाए।


पूर्व मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों पर दर्ज भ्रष्टाचार के केसों को वापस लेने के मामले में एडवोकेट जनरल एचएस मत्तेवाल को अभी अपनी कानूनी राय देनी है। स्पीकर निर्मल सिंह काहलोंे ने इस बारे में उन्हें पत्र लिखा है। लेकिन अभी तय नहीं है कि मत्तेवाल खुद सदन में आकर अपनी राय देंगे या फिर स्पीकर को खत लिख कर ही सलाह से वाकिफ करा देंगे और उसे ही स्पीकर सदन में रखेंगे। वैसे पंजाब लोक सेवा आयोग के डॉक्टर्स भर्ती प्रकरण में बजट सत्र के दौरान मत्तेवाल सदन में खुद आकर कानूनी राय देने की नजीर पेश कर चुके हैं।


खैर, मत्तेवाल सदन में आएं या स्पीकर के खत के जवाब में खत लिखें, बजट सत्र का अंतिम दिन कुछ न कुछ ऐतिहासिक रंग लेकर आ रहा है। यूं भी पंजाब विधानसभा को ऐतिहासिक फैसले लेने की आदत पुरानी है। फिलहाल, गेंद मत्तेवाल के पाले में है और पंजाब सहित अन्य प्रदेशों की नजर भी इस दिन पर टिकी है कि क्या फैसला होता है।


यहां से शुरू हुई थी बात


11 मार्च को डिप्टी स्पीकर सतपाल गोसाईं ने स्पीकर निर्मल सिंह काहलों को एक पत्र लिखकर आग्रह किया था कि जितने भी राजनीतिज्ञों के खिलाफ राजनीतिक द्वेष के तहत केस दर्ज किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए ताकि पंजाब की राजनीतिक कटुता कुछ कम हो। स्पीकर ने प्रस्ताव को पिछले हफ्ते सदन के सामने रखा । ज्यादातर विधायक प्रस्ताव से सहमत थे, लेकिन अब कुछ लोगों का रंग बदलने लगा है। इसी के चलते सियासी शतरंज के मोहरे और मत्तेवाल की राय ही तय करेगी कि केस वापसी की इस ‘भाईचारा’ ब्रांड सियासत का ऊंट किस करवट बैठेगा।


नजीर और भी हैं


केस वापस लेने संबंधी विधानसभा का यह प्रस्ताव दरअसल 12 और 13वीं विधानसभा के ऐतिहासिक फैसले की परम्परा को आगे बढ़ाने जैसा ही है। 12वीं विधानसभा में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दो दशक पहले के नदी जल समझौतों को रद्द कर दिया। वह मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के पास लंबित है। विधानसभा में नदी जल समझौते रद्द कर ऐतिहासिक काम को अंजाम देने वाले उसी कैप्टन अमरिंदर सिंह की सदस्यता 13वीं विधानसभा ने खारिज कर दी। उन पर अमृतसर नगर सुधार ट्रस्ट की एक योजना में प्राइवेट कॉलोनाइजर को लाभ पहुंचाने का आरोप है। यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। राजनीतिज्ञों पर दर्ज भ्रष्टाचार के केस वापस लेने का फैसला लिया जाता है तो यह पंजाब विधानसभ का तीसरा अभूतपूर्व कदम होगा।


हमने किसी कांग्रेसी विधायक,पूर्व मंत्री के खिलाफ केस दर्ज नहीं कराया। हमारा एक भी कदम किसी के खिलाफ राजनीतिक रंजिश के तहत नहीं उठा है। हम जानते हैं कि हमारा मन साफ है। कैप्टन अमरिंदर सिंह और चौधरी जगजीत सिंह के खिलाफ सिटी सेंटर घोटाले में दर्ज केस उनकी अपनी सरकार के दौरान विजिलेंस द्वारा दायर की गई रिपोर्ट के आधार पर किया गया है। इसमें हमारी पार्टी या परिवार में किसी के प्रति कोई द्वेष या बदले की भावना शामिल नहीं है.


प्रकाश सिंह बादल, मुख्यमंत्री, शिअद


विधानसभा भ्रष्टाचार के केस वापस लेने का प्लेटफॉर्म नहीं है। अदालतें किस लिए हैं। मैंने कोई केस राजनीतिक द्वेष के तहत दर्ज नहीं किया था। अकालियों के खिलाफ पुख्ता सुबूत थे लेकिन अब ये गवाहों पर दबाव बनाकर उन्हें मुकरने पर मजबूर कर रहे हैं। मैंने इसीलिए कहा था कि बादल परिवार के खिलाफ दर्ज केसों की सुनवाई राज्य से बाहर होनी चाहिए। मेरे खिलाफ दर्ज मामले राजनीति से प्रेरित हैं। केस अदालतों में हैं ,जो सच होगा सामने आ ही जाएगा।


कैप्टन अमरिंदर सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस
 
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