जब ओबामा ने मांगी माफी...

अमेरिकी प्रेजिडेंट बाराक ओबामा ने जबसे कामकाज संभाला है, उनके बयानों में एक बात हमेशा कॉमन रही। ओबामा का मानना है कि अपनी पुरानी नीति
यों के लिए अमेरिका को प्रायश्चित करना चाहिए। ओबामा के इस रुख पर रिपब्लिकंस ने उन्हें कमजोर कहा। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि अपनी गलती को मानना साहस की निशानी है।
पेश हैं, ओबामा की ऐसी ही कुछ माफियां :

वॉर ऑन टेरर
अनिश्चित खतरे को देखते हुए हमारी सरकार ने जल्दबाजी में कुछ फैसले किए। मैं मानता हूं कि इनमें से कई फैसले अमेरिकी जनता को सुरक्षित करने की अच्छी नीयत से किए गए थे। पर मैं यह भी मानता हूं कि हमारी सरकार ने अक्सर दूर की सोचने के बजाय डर के आधार पर फैसले लिए।

- नैशनल आर्काइव्स, वॉशिंगटन में मई 21 2009 को दिया गया भाषण

अमेरिकियों से
कभी-कभार हमें अपनी शर्तें थोपनी पड़ती हैं पर मैं शपथ लेता हूं कि... हमें बराबर साझेदारी चाहिए। कोई भी सीनियर या जूनियर पार्टनर नहीं होता... अमेरिका अपनी बीती गलतियों को मानने का ख्वाहिशमंद होगा।

- समिट ऑफ द अमेरिकाज, पोर्ट ऑफ स्पेन (17 अप्रैल, 2009)

मुस्लिमों से
हम एकदम परफेक्ट नहीं रहे हैं... अमेरिका कभी भी साम्राज्यवादी ताकत नहीं रहा और मुस्लिम वर्ल्ड के साथ भी हम सम्मान और साझेदारी के साथ पेश आते रहे हैं... इसे दोबारा जिंदा किया जा सकता है। न कर पाने की कोई वजह नहीं।

दुनिया से
मैं यह मानता हूं कि मेरे प्रेजिडेंट बनने और उसके बाद लिए गए शुरुआती फैसलों से आप दुनिया में अमेरिका का रुत्बा फिर से कायम होता देखेंगे। सिर्फ समाधान थोपने के बजाय जरूरी है कि हम पार्टनरशिप में काम करें।

- जी20 समिट, लंदन (2 अप्रैल, 2009)

सीआईए की गलतियों पर
इस बात से हताश मत होइए कि हमें अपनी गलतियां स्वीकारनी पड़ रही हैं। इसी तरह हम सीखेंगे।

- संदिग्ध आतंकवादियों से पूछताछ के तरीकों से जुड़ी रिपोर्ट जारी करने के बाद सीआईए स्टाफ से मुखातिब हुए (20 अप्रैल, 2009)

यूरोप से
यूरोप दुनिया में लीडिंग रोल निभा रहा है पर अमेरिका इसकी सराहना करने में नाकाम रहा है। ऐसा समय भी रहा है जब आपकी बहुआयामी एकजुटता को सराहने और समान चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी बढ़ाने की बजाय अमेरिका ने अपना अहम दिखाया है।

- स्ट्रैसबर्ग, फ्रांस (3 अप्रैल, 2009)

गुआंतानामो पर
मैंने गुआंतानामो खाड़ी के डिटेंशन सेंटर को बंद करने का आदेश दे दिया है। बिना किसी लागलपेट के मैं यह कहना चाहता हूं कि अमेरिका आतंकवाद से निपटने के दौरान कोई टॉर्चर नहीं करता और न ही भविष्य में करेगा। हम न अपने मूल्यों से आंखें फेर सकते हैं और न इस बात से कि हम कौन हैं।
 
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