शिवेंद्र को मिली सजा नस्लवादी फैसला?

भारतीय हॉकी खिलाड़ी शिवेंद्र सिंह पर लगाए गए दो मैच का बैन क्या नस्लवादी कार्रवाई है? कई पुराने भारतीय हॉकी प्लेयर्स ऐसा मानते हैं कि
एशियाई हॉकी प्लेयर्स के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है।

पूर्व भारतीय ओलिंपियन जफर इकबाल का कहना है कि एशियाई खिलाड़ियों के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार होता है। इकबाल ने कहा कि जो गलतियां करके यूरोपीय खिलाड़ी आसानी से बच जाते हैं, उन गलतियों के लिए एशियाई खिलाड़ियों को काफी कड़ी सजा मिलती है। इकबाल ने कहा कि शिवेंद्र पर लगाया गया बैन बेहद कठोर फैसला है।

गौरतलब है कि शिवेंद्र को पहले तीन मैच के लिए सस्पेंड किया गया था, लेकिन अपील के बाद उनकी सजा घटाकर दो मैचों के लिए निलंबन की कर दी गई। इसके बाद शिवेंद्र ने कहा, 'मैं बता नहीं सकता कि कितना दुखी हूं। मुझे तो ग्रीनकार्ड की भी आशंका नहीं थी बल्कि मैंने उस घटना को नोटिस भी नहीं किया था। मैच के बाद डिनर के समय कोचों ने मुझसे पूछा कि क्या मैंने फरीद अहमद को जानबूझकर चोट पहुंचाई है, तब मुझे इसके बारे में पता चला।'

उन्होंने कहा, 'कोचों ने ही मुझे बताया कि टूर्नामेंट डायरेक्टर केन रीड ने मुझे सुबह सुनवाई के लिए बुलाया है। मैंने बाद में मैंच के फुटेज देखे तो पाया कि खेल के दौरान स्टिक उठ गई है, लेकिन मैंने जान बूझकर ऐसा नहीं किया था। उस खिलाड़ी ने पीछे से आकर मेरे पैर पर चोट पहुंचाई तो मैंने अपना संतुलन बनाने के लिए हाथ हवा में उठाया, जिसमें उसे शायद स्टिक लग गई। लेकिन खेल में ऐसा होता है।'
 
Top