बजट से महिला संगठन खुश, बुजुर्ग निराश

वित्त मंत्री के पिटारे से जो निकला है उससे महिला संगठन तो खुश हैं पर बाल अधिकार कार्यकर्ता
और सीनियर सिटिजन निराश हैं।

महिलाओं और बच्चों का ख्याल रखते हुए महिला और बाल विकास के लिए बजट में 50 फीसदी का इजाफा करने का प्रस्ताव है। बजट में बच्चों के विकास के लिए कुल 44961.41 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव है। जेंडर बजटिंग कार्यक्रम के तहत महिलाओं पर केंद्रित कार्यक्रमों के लिए 67749.80 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है। महिला किसानों की खास जरूरतों को पूरा करने के मकसद से वित्त मंत्री ने नैशनल रूरल लाइफलीहुड मिशन के तहत 100 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया है।

महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए नैशनल मिशन का भी ऐलान किया गया। वित्त मंत्री ने कहा कि किशोर बालिकाओं के लिए राजीव गांधी योजना के इफेक्टिव इंप्लीमेंटेशन के लिए आईसीडीएस प्लैटफॉर्म का विस्तार किया जाएगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि 6 से 14 साल के सभी बच्चों को समता और भेदभाव रहित सिद्धांतों पर आधारित अच्छी क्वॉलिटी की शिक्षा मिलेगी। खिलौना लाखों बच्चों की खुशी का जरिया होता है, उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए खिलौनों से केंद्रीय उत्पाद शुल्क में पूरी छूट का प्रस्ताव है। मतलब अब खिलौने सस्ते होंगे। लेकिन इंपोर्टेड गोल्ड, सिल्वर और प्लेटिनम महंगा होने से महिलाएं थोड़ा नाखुश हो सकती हैं। हालांकि किचन का कुछ ख्याल रखा गया है। माइक्रोवेव अवन और वॉटर फिल्टर सस्ते होंगे।

वुमन पावर कनेक्ट की प्रेजिडेंट रंजना कुमारी ने कहा कि यह अच्छा बजट है। महिलाओं और बच्चों का ख्याल रखा गया है। स्कूली शिक्षा में आंवटन बढ़ाना अच्छा कदम है। हालांकि इसमें गर्ल चाइल्ड एजुकेशन पर खास जोर होना चाहिए था।

बचपन बचाओ आंदोलन के संस्थापक कैलाश सत्यार्थी कहते हैं कि पिछले साल से अब तक बढ़ी महंगाई के परिप्रेक्ष्य में बच्चों के लिए यह बजट कोई अच्छी खबर नहीं लाया है। बजट में दूर-दूर तक इस बात का कोई इशारा नहीं है कि सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देने की कानूनी गारंटी बिना धन के कैसे लागू होगी। सर्व शिक्षा अभियान का बजट पिछले साल 11900 करोड़ से बढ़ाकर 13600 करोड़ किया गया है। जो मुद्रास्फीति की दर के मुकाबले विशेष बढ़ोतरी नहीं है। मिड डे मील का बजट 8000 करोड़ से बढ़ाकर 8400 किया गया है । मुद्रास्फीति के चलते यह कमी ही मानी जाएगी।

बाल मजदूरों के पुनर्वास, ग्रामीण युवाओं के व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसे मामले में बजट एकदम चुप है। यदि बच्चों को शोषण, बाल व्यापार, बाल वेश्यावृत्ति और सड़कों पर जीवन यापन करने की स्थिति से बाहर निकालने का कोई बजट प्रावधान नहीं है तो फिर शिक्षा और विकास की बातें बेबुनियाद हैं।

बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था 'हक' की रिसर्च डायरेक्टर पारुमिता शास्त्री कहती हैं कि बजट में बच्चों के लिए कुछ खास नहीं है। पूरे बजट में बच्चों के लिए हर एक रुपये पर सिर्फ 4.63 पैसा रखे गए हैं जो पहले 4.31 पैसे था। इसे कैसे अच्छा माना जा सकता है जबकि आबादी का 42 परसेंट बच्चे हैं।

हेल्पएज इंडिया के सीई मैथ्यू चेरियन ने कहा कि यह बुजुर्गों के लिए बहुत केयरिंग बजट है। वहीं सीनियर सिटिजन काउंसिल ऑफ दिल्ली के प्रेजिडेंट जे. आर. गुप्ता कहते हैं कि यह निराश करने वाला बजट हैं। हमें उम्मीद थी कि बुजुर्गों को इनकम टैक्स में कुछ छूट मिलेगी वैसा नहीं हुआ। सिर्फ ज्यादा इनकम वालों का ख्याल रखा गया है। रिटायर होने की उम्र 60 साल है और सरकारी फायदे मिलने की उम्र 65 साल है। ऐसे में बहुत से बुजुर्गों को जो 60 से 65 साल के हैं कोई फायदा नहीं मिल पाता। इस कमी को भी दूर नहीं किया गया है। योग गुरु बाबा रामदेव कहते हैं कि शिक्षा के लिए हर बच्चे पर सालाना 1409 रुपये खर्च किए जाने का प्रस्ताव है जो बेहद कम है। स्वास्थ्य के नाम पर प्रति व्यक्ति 193 रुपये सालाना को अच्छा नहीं माना जा सकता।
 
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