ओसामा बिन लादेन : "जिन्दा या मुर्दा"

ओसामा बिन लादेन : "जिन्दा या मुर्दा"


लगातार सुर्ख़ियों में हाल फिलहाल तक यह खबर रही की ओसामा बिन लादेन जिन्दा या मुर्दा ? हाल फिलहाल तक कहने का मतलब, ज्यादा दिनों पुरानी बात नहीं कहूँगा मैं, बल्कि तब की बात है जब अमेरिका के पायलट-रहित खोजी और आक्रमणकारी विमान के टार्गेट पर रहा. तालिबान और पकिस्तान का सीमा-प्रदेश. उस समय जितने भी हमले हुए उनमें अधिकाँश में ये खबर अमेरिका सरकार के द्वारा दावे के साथ पेश की जाती रही की फलां हमले में ओसामा मारा गया. लेकिन ये सुर्खियाँ और खबरें, अमेरिका के लिए ना तो नयी थी और ना ही विश्व के अन्य देशो के लिए क्योंकि अमेरिका के ये खोखले दावों को कई बार ओसामा बिन लादेन ने अचानक प्रकट होकर और अपनी उपस्थिति टी वी चैनल, विडियो या प्रसारण के माध्यम से दर्ज कराकर अमेरिकी और ब्रिटेन सरकार को कड़ा तमाचा लगाया है. लेकिन जहाँ अमेरिका ये कहते नहीं थकता की उसने ओसामा को मार गिराया, वहीँ ओसामा नए नए हमलो में मासूमों की जान लेकर और आतंकवादी हमले करवाने से नहीं थकता और इस तरह देखा जाय तो थकते दोनों ही नहीं है--न तो अमेरिकी सरकार और ना ही ओसामा बिन लादेन. लेकिन थक चुकी है विश्व की जनता क्योंकि बार बार ओसामा के मार दिए जाने के खबर के बाद ही ओसामा जिन्दा हो जाता है नए आतंकवादी हमलों के माध्यम से.

"११ सितम्बर २००१", अमेरिका में ही नहीं पूरे विश्व में ओसामा के भयानक आतंकवादी शक्ल की कुरूप याद दिलाता रहेगा और अमेरिका हरेक साल इस याद का मातम मनाता रहेगा और हरेक अमेरिकी राष्ट्रपति ओसामा को मार गिराने का दावा अमरीकी लोगो के सामने करता रहेगा. लेकिन प्रश्न ये भी उठता रहेगा की-- कब मारा जायेगा ओसामा ? क्यों नहीं मारा जा सका है ओसामा ? क्या कर रही है अमेरिकी सरकार ? क्यों निरीह और अशक्त है अमेरिकी सरकार ?

स्थिति इतनी शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण हो चुकी है की, अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की अफगानिस्तान और पाकिस्तान निति की समीक्षा और विश्लेषण करने वाले अमेरिकी दल के अध्यक्ष ब्रूस रेडैल परेशान होकर ये कहते नजर आते हैं की-- "मुझे कुछ नहीं पता की ओसामा बिन लादेन है कहाँ ?" अब ब्रूस की बात को समझने की कोशिस की जाए तो स्थिति अजीब दिखाई पड़ती है क्योंकि अपने आप को विश्वस्तर पर सबसे बड़ा कूटनीतिज्ञ, सर्वशक्तिमान और विकसित देश कहे जाने वाले देश "अमेरिका" का जिम्मेवार अधिकारी इस बात को इस तरह से गैरजिम्मेराना रूप से उल्लेखित करे. ब्रूस के वक्तव्य और गैरजिम्मेवाराना रवैये से यह स्पष्ट हो रहा है की "व्हाइट हाउस" में बैठकर राष्ट्रपति के पद पर स्थापित होकर राजनीती को चमकाना अलग बात है परन्तु विश्वस्तर पर आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला और कई निरीह लोगो को हमले में मार डालने वाला ओसामा बिन लादेन को पकड़ना या मार गिराना अलग बात है. ब्रूस के वक्तव्य से ये बात एकदम साफ़ साफ़ नजर आने लगी है की अमेरिकी अधिकारी भी अब परेशान होकर ओसामा बिन लादेन जैसे मुसीबत से छुटकारा पाना चाहते हैं. "छुटकारा पाना चाहते हैं" का मतलब ये नहीं की वो उसको मार गिराने या जिन्दा पकड़ लेने को उत्साहित हैं बल्कि अमेरिकी अधिकारी भी अब इस पचड़े में पड़ करके काफी थक चुके हैं और ओसामा नाम के समस्या से रूबरू ना होकर परेशान होकर उस से दूर भागना चाहते हैं. समस्या ये भी है की किसी ठोस खुफिया जानकारी के अभाव में ओसामा बिन लादेन के जिन्दा या मुर्दा होने तक की पुष्टि नहीं हो पा रही है तो उसको ऐसी कमजोर खुफिया व्यवस्था के तहत मार गिराना या जिन्दा पकड़ लेना तो दूर की बात है.

विश्व की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी अमेरिका की 'सीआईए' की माने तो वहां के भूतपूर्व अधिकारी माईक श्योर का कहना है की "ओसामा बिन लादेन जिन्दा है" और वो ये बात की पुष्टि ओसामा बिन लादेन के द्वारा जारी हुए कई ऑडियो/विडियो टेप के आधार पर कहते हैं जो समय समय पर ओसामा के द्वारा जारी किये जाते रहे है. जब भी ऐसे टेप अमेरिकी और ब्रिटेन सरकार को प्राप्त होती है तो फिर विवादों और वक्तव्यों का दौर शुरू हो जाता है. कोई उसकी सत्यता पर सवाल उठाता है तो कोई उसमें दर्ज ओसामा की आवाज और हुलिए पर सवाल उठता है. तर्क और वितर्क के इस जद्दो-जहद में अमेरिका और ब्रिटेन के अधिकारी और सरकार उलझी रह जाती है और ओसामा फिर मुस्कुराता हुआ खैबर की पहाड़ों में, पकिस्तान में या अरब में जा छुपता है.

ओसामा बिन लादेन आज विश्वस्तर पर एक चुनौती के रूप में स्थापित है और उसके आतंकवादी हमलों से लगातार विश्व का कोई न कोई कोना आहत होता रहता है लेकिन विश्व की सरकारें बस "अगली बार देख लेने" का दावा करती दिखाई देती हैं और फिर कुछ दिन खोजो-बिनो का दौर चलता है, खोखले दावे दर्ज किये जाते हैं की फलां हमले में ओसामा मारा गया और अंततः प्रश्न कुछ दिनों के बाद वहीँ खड़ा हो जाता है-- "क्या ओसामा बिन लादेन जिन्दा है ?"
 
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