विज्ञान की आंखों से देखिए सूर्य-ग्रहण

ऐसे में जब पूरी दुनिया इस सहस्त्राब्दि के सबसे लंबे सालाना सूर्य-ग्रहण का शिद्दत से इंतजार कर रही है, भारत में इस खगोलीय परिघटना के बारे में सदियों पुरानी दकियानूसी धारणाओं की जड़ आज भी जमी हुई है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर विज्ञान की आंखों से इस अद्भूत नजारे को देखा जाए तो यह यादगार पलों में तब्दील हो सकता है। वैज्ञानिकों ने लोगों को सूर्य ग्रहण से जुड़े अंधविश्वासों से मुक्त होकर इसका लुत्फ उठाने की सलाह दी है। उनका मानना है कि ग्रहण के साये में घिरे सूर्य को देखने का तरीका अगर वैज्ञानिक हो तो यह पल रोमांचकारी बन सकता है।
भारतीयों में यह धारणा है कि सूर्य ग्रहण के दौरान धरती पर 'अशुभ किरणें' पड़ती हैं। कई लोग तो इस अंधविश्वास के कारण इस रोमांचकारी छटा को देखने से बचने के लिए घरों में कैद हो जाते, जबकि कई लोग इस मौके पर खाना पकाना ठीक नहीं समझते। नेहरू प्लेनेटोरियम के निदेशक एन रत्नाश्री ने कहा कि ऐसी धारणाएं वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है।
इस बार सूर्य ग्रहण हरिद्वार के महा कुंभ मेले के दूसरे पवित्र स्नान के दिन पड़ता है। रत्नाश्री का मानना है कि सूर्य ग्रहण का लुत्फ उठाने समय कुछ खास सावधानियां बरती जानी चाहिए। इस नजारे को देखने के लिए वैज्ञानिक उपकरणों की मदद ली जानी चाहिए। नंगी आंखों से उस दिन सूर्य को निहारना नुकसानदेह साबित हो सकता है। उपयुक्त फिल्टर से लैस दूरबीन की मदद से सूर्य को देखना चाहिए। वैसे, सबसे अच्छा तरीका है सूर्य का प्रक्षेपित रूप निहारना। उनका मानना है कि नंगी आंखों से देखने से आंखें क्षतिग्रस्त हो सकती हैं।
 
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