Palang Tod
VIP
ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह ने उनकी क्षमता पर उंगली उठाने वाले आलोचकों पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि 13 साल के करियर में 350 से ज्यादा विकेट लेने वाला बोलर कोई नहीं हो सकत
ा। साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट में भारत की जीत के सूत्रधार रहे हरभजन का मानना है कि आईसीसी रैंकिंग में टॉप टेन बॉलरों में शामिल होना ही काफी कुछ बयां कर देता है। उन्होंने कहा, 'हम मूर्ख या इडियट नहीं हैं। इडियट्स देश के लिए 13 साल तक नहीं खेल सकते और ना ही 350 टेस्ट विकेट ले सकते हैं।'
हरभजन ने फोन पर कहा, 'आलोचकों को अपना काम करना है। मैं उनका सम्मान करता हूं लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि पिछले दो साल में कई बार आईसीसी के टॉप टेन बॉलरों में शामिल रहा कोई खिलाड़ी इतना बुरा या मूर्ख कैसे हो सकता है।' ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1998 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले हरभजन ने अपनी सीधी बॉल को ब्रहमास्त्र बताते हुए कहा कि इससे यह नहीं समझना चाहिए कि वह बॉल को टर्न नहीं करा सकते हैं। उन्होंने कहा, 'जब बाएं हाथ का कोई स्पिनर सीधी बॉल फेंकता है तो उसे श्रेय दिया जाता है। लेकिन ऑफ स्पिनर जब इसे डालता है तो यह क्यों कहा जाता है कि वह टर्न नहीं करा पाता।'
हरभजन ने कहा, 'जिन पिचों पर बोलरों को मदद नहीं मिलती, वहां बोलिंग के लिए नए एंगल बनाने पड़ते हैं, जिससे बैट्समैन के एलबीडब्ल्यू होने के मौके बढ़ जाते हैं। यदि बैट्समैन को फुटवर्क का श्रेय देते हैं तो उस बोलर को क्यों नहीं, जिसने बैट्समैन को फुटवर्क के इस्तेमाल का मौका नहीं दिया।'
इस बोलर का मानना है कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करके ही भारत आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर पहुंच सका है। उन्होंने कहा, 'क्या टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन का दर्जा रातों रात हासिल किया जा सकता है। यह पिछले दो साल में टीम इंडिया की मेहनत का नतीजा है। जिस तरह आलोचकों का अपना काम है, उसी तरह हमारा काम तिरंगे का परचम लहराना है। हम जानते हैं कि हमारी कामयाबी के दुनिया भर में हमारे करोड़ों प्रशंसकों के लिए क्या मायने हैं।'
ा। साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे टेस्ट में भारत की जीत के सूत्रधार रहे हरभजन का मानना है कि आईसीसी रैंकिंग में टॉप टेन बॉलरों में शामिल होना ही काफी कुछ बयां कर देता है। उन्होंने कहा, 'हम मूर्ख या इडियट नहीं हैं। इडियट्स देश के लिए 13 साल तक नहीं खेल सकते और ना ही 350 टेस्ट विकेट ले सकते हैं।'
हरभजन ने फोन पर कहा, 'आलोचकों को अपना काम करना है। मैं उनका सम्मान करता हूं लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि पिछले दो साल में कई बार आईसीसी के टॉप टेन बॉलरों में शामिल रहा कोई खिलाड़ी इतना बुरा या मूर्ख कैसे हो सकता है।' ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 1998 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले हरभजन ने अपनी सीधी बॉल को ब्रहमास्त्र बताते हुए कहा कि इससे यह नहीं समझना चाहिए कि वह बॉल को टर्न नहीं करा सकते हैं। उन्होंने कहा, 'जब बाएं हाथ का कोई स्पिनर सीधी बॉल फेंकता है तो उसे श्रेय दिया जाता है। लेकिन ऑफ स्पिनर जब इसे डालता है तो यह क्यों कहा जाता है कि वह टर्न नहीं करा पाता।'
हरभजन ने कहा, 'जिन पिचों पर बोलरों को मदद नहीं मिलती, वहां बोलिंग के लिए नए एंगल बनाने पड़ते हैं, जिससे बैट्समैन के एलबीडब्ल्यू होने के मौके बढ़ जाते हैं। यदि बैट्समैन को फुटवर्क का श्रेय देते हैं तो उस बोलर को क्यों नहीं, जिसने बैट्समैन को फुटवर्क के इस्तेमाल का मौका नहीं दिया।'
इस बोलर का मानना है कि लगातार अच्छा प्रदर्शन करके ही भारत आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में टॉप पर पहुंच सका है। उन्होंने कहा, 'क्या टेस्ट क्रिकेट में नंबर वन का दर्जा रातों रात हासिल किया जा सकता है। यह पिछले दो साल में टीम इंडिया की मेहनत का नतीजा है। जिस तरह आलोचकों का अपना काम है, उसी तरह हमारा काम तिरंगे का परचम लहराना है। हम जानते हैं कि हमारी कामयाबी के दुनिया भर में हमारे करोड़ों प्रशंसकों के लिए क्या मायने हैं।'