10 में से सात बच्चे ऑनलाइन सेक्स, हिंसा के शिक

इंटरनेट पर बच्चे क्या देखते हैं? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ा है सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी सायमंटेक ने। उसके सर्वे के अनुसार, 10 में से सात बच्चे ऑनलाइन सेक्स, हिंसा और अश्लीलता के शिकार हैं। इनमें से कई बच्चों को उनके ‘अज्ञात’ ऑनलाइन दोस्त ने अकेले मिलने भी बुलाया है।

सायमेंटेक की विश्वव्यापी ऑनलाइन फैमिली रिपोर्ट 2010 के अनुसार, 77 फीसदी भारतीय बच्चों को इंटरनेट पर ‘अटपटे’ हालात का सामना करना पड़ा। यह बात इनमें से आधे बच्चों के माता-पिता को ही मालूम है। सर्वे में 24 फीसदी अभिभावकों ने माना कि सोशल नेटवर्किग साइट पर किसी अजनबी के द्वारा बच्चों को दोस्त बनाने की कोशिश हो सकती है। वहीं, 55 फीसदी बच्चों का कहना था कि उनके साथ ऐसा हो चुका है।

खतरा डाउनलोडिंग के दौरान

कंपनी के कंट्री सेल्स मैनेजर गौरव कंवल ने बताया कि मां-बाप समझते हैं कि बच्चे इंटरनेट से म्यूजिक या वीडियो डाउनलोड कर रहे हैं। लेकिन इसी दौरान उनके अश्लील सामग्री के संपर्क में आने का खतरा ज्यादा होता है। कंवल ने कहा कि अभिभावकों को बच्चों के साथ उनके इंटरनेट अनुभव खुलकर बांटना चाहिए। साथ ही उन्हें इंटरनेट के उपयोग के नियम भी बताने चाहिए। जरूरत पड़ने पर बच्चों पर नजर रखने के लिए सॉफ्टवेयर की मदद भी ली जा सकती है।
 
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