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जज अपराधी से- तुम्हारा नाम।
अपराधी- राम बख्श।
जज- बापा का नाम।
अपराधी- भाग्यबख्श।
जज- चाल-चलन।
अपराधी- तसल्लीबख्श।
जज- तुमने सिपाही को क्यों मारा।
अपराधी- मोलाबख्श।
जज- इसकी सजा।
अपराधी- हुजूर बख्श।
एक मोटे आदमी को स्कूटर की हल्की सी टक्कर लग गई। वह स्कूटर चालक पर बिगडकर बोला- क्यों थोडा सा बचकर नहीं निकल सकते थे।
स्कूटर चालक नरमाई से- क्या करूं, पेट्रोल बहुत महंगा है, इतना लंबा चक्कर कहां तक काटता।
अध्यापक- बोलो ए फॉर ऎप्पल।
बच्चा (धीरे से)- ए फॉर ऎप्पल।
अध्यापक- जोर से बोलो।
बच्चा- जय माता दी।
ग्राहक- तुम तो कह रहे थे कि यह कमीज बिल्कुल ऊनी हैं। पर इसके अंदर टिकिट पर सूती माल छपा हुआ हैं।
दुकानदार- यह टिकिट तो कीडों को धोखा देने के लिए लगाया हैं।
मास्टर चिंटू से- तेरा हस्तलेख इतना खराब है बिल्कुल पढा नहीं जाता। आगे चलकर तेरा क्या हाल होगा।
चिंटू- इसकी आप चिंता न करें। मास्टर साहब, मुझे पिताजी डॉक्टरी शिक्षा दिलाने जा रहे हैं।
मांगीलाल जी अपने एक दोस्त को बता रहे थे- कल रात मेरी पत्नी नींद में जोर-जोर से हाथ पांव पटक रही थीं और कह रही थीं- नहीं रमेश, नहीं-नहीं, मुझे बडा गुस्सा आया।
दोस्त- इसमें गुस्से की क्या बात हैं, मांगीलाल जी आखिर उसने नहीं ही तो कहा हैं।
एक युवा पादरी ने चर्च से इस्तीफा दे दिया और नॉर्मल लाइफ अपना ली। उससे वजह पूछी गई तो बोला- मैं टार्चर न झेल सका।
पादरी बनने के लिए सेक्स लाइफ से किनारा करना पडा और फिर चर्च के कनफेशनल में बैठ कर प्रायश्चित करने आये लोगों की सेक्स लाइफ की हाईलाइट्स को डिटेल्स से सुनना पडता था।
एक शर्मिला युवक एक युवती से शादी करना चाहता था पर उससे कह नहीं पाता था।
आखिरकार उसने फुसफुसाकर कहा- क्या तुम अपनी चिता में मेरे हाथ से आग लगवाना पसंद करोगी।
अध्यापक- बंटी गंगा नदी कहां हैं।
बंटी- सर, जमीन पर।
अध्यापक हंसकर- नक्शे में कहां हैं।
बंटी- सर, नक्शे में कहां हो सकती है, नक्शा तो गल जायेगा।
डॉक्टर संता से- अगर आप भीडभाड से बचकर रहेंगे तो आपको यह बीमारी नहीं होगी।
संता- लेकिन डॉक्टर साहब मैं अपने पेशे से मजबूर हूं।
डॉक्टर- क्यों क्या पेशा है आपका।
संता- डॉक्टर साहब, दरअसल मैं जेबकतरा हूं।
अपराधी- राम बख्श।
जज- बापा का नाम।
अपराधी- भाग्यबख्श।
जज- चाल-चलन।
अपराधी- तसल्लीबख्श।
जज- तुमने सिपाही को क्यों मारा।
अपराधी- मोलाबख्श।
जज- इसकी सजा।
अपराधी- हुजूर बख्श।
एक मोटे आदमी को स्कूटर की हल्की सी टक्कर लग गई। वह स्कूटर चालक पर बिगडकर बोला- क्यों थोडा सा बचकर नहीं निकल सकते थे।
स्कूटर चालक नरमाई से- क्या करूं, पेट्रोल बहुत महंगा है, इतना लंबा चक्कर कहां तक काटता।
अध्यापक- बोलो ए फॉर ऎप्पल।
बच्चा (धीरे से)- ए फॉर ऎप्पल।
अध्यापक- जोर से बोलो।
बच्चा- जय माता दी।
ग्राहक- तुम तो कह रहे थे कि यह कमीज बिल्कुल ऊनी हैं। पर इसके अंदर टिकिट पर सूती माल छपा हुआ हैं।
दुकानदार- यह टिकिट तो कीडों को धोखा देने के लिए लगाया हैं।
मास्टर चिंटू से- तेरा हस्तलेख इतना खराब है बिल्कुल पढा नहीं जाता। आगे चलकर तेरा क्या हाल होगा।
चिंटू- इसकी आप चिंता न करें। मास्टर साहब, मुझे पिताजी डॉक्टरी शिक्षा दिलाने जा रहे हैं।
मांगीलाल जी अपने एक दोस्त को बता रहे थे- कल रात मेरी पत्नी नींद में जोर-जोर से हाथ पांव पटक रही थीं और कह रही थीं- नहीं रमेश, नहीं-नहीं, मुझे बडा गुस्सा आया।
दोस्त- इसमें गुस्से की क्या बात हैं, मांगीलाल जी आखिर उसने नहीं ही तो कहा हैं।
एक युवा पादरी ने चर्च से इस्तीफा दे दिया और नॉर्मल लाइफ अपना ली। उससे वजह पूछी गई तो बोला- मैं टार्चर न झेल सका।
पादरी बनने के लिए सेक्स लाइफ से किनारा करना पडा और फिर चर्च के कनफेशनल में बैठ कर प्रायश्चित करने आये लोगों की सेक्स लाइफ की हाईलाइट्स को डिटेल्स से सुनना पडता था।
एक शर्मिला युवक एक युवती से शादी करना चाहता था पर उससे कह नहीं पाता था।
आखिरकार उसने फुसफुसाकर कहा- क्या तुम अपनी चिता में मेरे हाथ से आग लगवाना पसंद करोगी।
अध्यापक- बंटी गंगा नदी कहां हैं।
बंटी- सर, जमीन पर।
अध्यापक हंसकर- नक्शे में कहां हैं।
बंटी- सर, नक्शे में कहां हो सकती है, नक्शा तो गल जायेगा।
डॉक्टर संता से- अगर आप भीडभाड से बचकर रहेंगे तो आपको यह बीमारी नहीं होगी।
संता- लेकिन डॉक्टर साहब मैं अपने पेशे से मजबूर हूं।
डॉक्टर- क्यों क्या पेशा है आपका।
संता- डॉक्टर साहब, दरअसल मैं जेबकतरा हूं।