ये कैसी सहायता है

[Gur-e]

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एक रात दो बजे बहुत तेज़ बारिश हो रही थी तो संता ने एक घर की घंटी बजाई और पूछा;

संता: भाई साहब मेहरबानी करके धक्का लगा देंगे क्या ?

आदमी नींद में था इसलिए मना कर दिया और अन्दर आ गया, परन्तु फिर उसे एहसास हुआ की कभी वो खुद बारिश में फंस जाये और कोई उसकी मदद न करे तो?

यह सोच कर वह उठा और बाहर जा कर बोला;

आदमी: क्या तुम्हे अभी भी धक्का चाहिए?

संता की आवाज़ आई: हाँ!

आदमी: ठीक है पर तुम हो कहाँ?

संता: यहाँ गार्डन में झूले पर!
 
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