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भारतीय नर्क की ऐश
एक भारतीय नेता की मौत हो गई। वह बिना हिसाब-किताब के सीधे नर्क में पहुंचा। नेता ने देखा कि नर्क में हर देश का अपना अलग नर्क है।
सबसे पहले उसने जर्मनी का नर्क देखा। वहां उसने देखा कि लोगों को बिजली के झटके दिए जा रहे हैं। उन्हें जिस कुर्सी पर बिठाया गया है, उसमें नुकीली कीलें हैं जो शरीर में घुस जाती हैं। इसके बाद नर्कवासी को कीलों के एक बिस्तर पर लिटाकर उसके हाथ-पैर खींचे जाते हैं।
यह देखकर नेता बहुत घबरा गया। वह जापान, अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन समेत कई देशों के नर्क का हाल देखते हुए भारतीय नर्क तक पहुंचा। भारतीय नर्क के बाहर लोगों की बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी। दूसरे देशों के नर्क से निकलकर लोग यहां आना चाह रहे थे।
यह देख उसने भारतीय नर्क के बारे में पूछा।
नेता को बताया गया कि यहां बिजली नहीं रहती इसलिए कुर्सी बेकार पड़ी है। कीलों के बिस्तर की कीलें चोरी हो गई हैं। नर्क का अधिकारी सुबह आता है, रजिस्टर में साइन करता है, सभी नर्कवासियों से दस-दस रुपए लेता है और वापस घर चला जाता है।