थी ख़ामोशी फितरत हमारी तभी तो बरसों निभ गई , अगर हमारे मुंह में भी जवाब होते तो सोचो कितने फसाद होते|| हम अच्छे थे पर लोगों की नज़र मे सदा रहे बुरे , कहीं हम सच में खराब होते तो सोचो कितने फसाद होते ||