Fasad Hote

Era

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थी ख़ामोशी फितरत हमारी तभी तो बरसों निभ गई ,
अगर हमारे मुंह में भी जवाब होते तो सोचो कितने फसाद होते||
हम अच्छे थे पर लोगों की नज़र मे सदा रहे बुरे ,
कहीं हम सच में खराब होते तो सोचो कितने फसाद होते ||
 
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