जो चेहरे कभी दिखते नही थे

जो चेहरे कभी दिखते नही थे मोहल्लों मे भूकंप ने सबका दीदार करा दिया।
न नमाज़ दिखी न अज़ान दिखी - न भजन दिखा न कीर्तन दिखा |
न हिन्दू दिखा न मुसलमान दिखा - घर से भागता हुआ इंसान दिखा ||
 
देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है।
बस इतनी सी बात आदमी को इन्सान बनाती है।।
 
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