उतार

उतार चढाव तो ज़िन्दगी में चलते ही रहते है
कई बदलते है चेहरे कई ढंग बदलते रहते है

पड़ते ही कमजोर बादल मुश्किलों के बरसते रहते है
छोड़ देते है सब साथ बस बहाने घडते रहते है

चाहे कितनी ही आये आंधियां
फल दरख्तों पे लगते ही रहते है

ना हो बुरा मेरे किसी भी अपने का
ये दुआ ही हम रोज खुदा से करते रहते है

कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )


 
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