bapu da laadla
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काल्पनिक एक्शन कथा महाभारत के अनुसार तिन मुख्य पात्र थे उनके नाम थे क्रमशः पाण्डव, ध्रतराषट्र और विधुर ।।
ध्रटराष्ट्र का विवाह गान्धारी से होता है तथा पाण्डव का विवाह दो औरतो कुन्ती और माद्री से होता है,
चुकि ध्रतराष्ट्र अन्धे थे तथा विदुर भिष्म की दासी से जन्मे हुए पुत्र थे इसलिये इन दोनो को राजपाठ सौप पाना संभव नही था अतः भिष्म, पाण्डव को राजा बनाकर अपना राजपाठ सौप देते है ।।
इसी बिच गान्धारी गर्भवती हो जाती है लेकीन गर्भ धारण करने के दो वर्ष बाद तक भी गान्धारी को प्रसव नही होता ।। इसी दोरान खबर आती है कि राजा पाण्डव की पत्नी कुन्ती ने एक बच्चे को जन्म दिया है जिसे युधीष्ठीर नाम दिया गया ।
कुन्ती को को पहले मा बनते देख गान्धारी बहुत दुखी होती है वो सोचती है कि उसके पती को अन्धा होने की वजह से राजपाठ नही मिला और अब कुन्ती पहले मा बन गयी है इसका मतलब पहले उसके बच्चे राजा बनेंगे, यह सोचकर गान्धारी अत्यंत दुखी रहने लगती है और एक दिन वह क्रोधीत होकर अपने दो साल से गर्भ धारण किये हुए पेट पर जोर जोर से घुंसे मारने लगती है जिसका परीणाम यह होता है कि उनके पेट मे जो एक जिव पिछ्ले दो सालो से पल रहा था वो टुट को उसके 101 टुकडे हो जाते है और उस एक जिव के 101 जिव बन जाते है ।।
तभी गान्धारी हो दुखी देखकर भगवान व्यास वहा प्रकट होते है उन्हे सारी स्थीती पता होती है, वो गान्धारी के पेट से उन 101 जिवो को निकाल लेते है फिर वो 101 बडे डिब्बो मे शुद्ध देशी धी भरते है और फिर अंगुठे के बराबर उन 101 जिवो को एक एक कर उन डिब्बो मे विस्थापित कर देते है ।।
फिर भगवान व्यास गान्धारी को निर्देष देते है कि वो इन डिब्बो को एक वर्ष तक ना खोले फिर एक वर्ष बाद एक डिब्बे को खोले उसमे से तुम्हे एक पुत्र प्राप्त होगा इसके बाद हर महीने एक एके डिब्बे खो खोले इस प्रकार इन डिब्बो से तुम्हे 100 पुत्र और एक कन्या प्राप्त होगी ।।
गान्धारी भगवान व्यास के निर्देषो का पलन करती है तथा एक वर्ष बाद पहला डिब्बा खोलती है जिससे उन्हे एक पुत्र प्राप्त होता है जो दुर्योधन कहलाता है ।
इस प्रकार बाकी उन सभी डिब्बो से प्राप्त पुत्रो को कौरव कहा गया ।।
अब देखो किसी भी द्रष्टीकोण से इसे सही नही मना जा सकता, इसमे सोचने वाली बाते इसप्रकार है ।।
1) गान्धारी दो साल तक गर्भवती रही दो साल मे भी उसे प्रसव नही हुआ, क्या ये संभव है ???
2) गान्धारी ने ने गुस्से मे आकर अपने पेट पर धुसे मारना शुरु किये तो पेट मे बच्चे के मरने कि बजाय 1 बच्चे के 101 बच्चे हो गये कितनी अजीब बात है ।।
3) 101 भुर्ण का पालन पोषण शुद्ध देशी धी से भरे डिब्बो मे होता है ( अब कोइ वैग्यानीक ये मत कह देना कि भगवान व्यास को उसी समय टेस्ट ट्युब बेबी वाली प्रक्रिया पता थी )
4) 101 मे 100 पुत्रो का जन्म होता है और मात्र एक पुत्री जन्म लेती है. ये धोर अन्याय नही है ???
ध्रटराष्ट्र का विवाह गान्धारी से होता है तथा पाण्डव का विवाह दो औरतो कुन्ती और माद्री से होता है,
चुकि ध्रतराष्ट्र अन्धे थे तथा विदुर भिष्म की दासी से जन्मे हुए पुत्र थे इसलिये इन दोनो को राजपाठ सौप पाना संभव नही था अतः भिष्म, पाण्डव को राजा बनाकर अपना राजपाठ सौप देते है ।।
इसी बिच गान्धारी गर्भवती हो जाती है लेकीन गर्भ धारण करने के दो वर्ष बाद तक भी गान्धारी को प्रसव नही होता ।। इसी दोरान खबर आती है कि राजा पाण्डव की पत्नी कुन्ती ने एक बच्चे को जन्म दिया है जिसे युधीष्ठीर नाम दिया गया ।
कुन्ती को को पहले मा बनते देख गान्धारी बहुत दुखी होती है वो सोचती है कि उसके पती को अन्धा होने की वजह से राजपाठ नही मिला और अब कुन्ती पहले मा बन गयी है इसका मतलब पहले उसके बच्चे राजा बनेंगे, यह सोचकर गान्धारी अत्यंत दुखी रहने लगती है और एक दिन वह क्रोधीत होकर अपने दो साल से गर्भ धारण किये हुए पेट पर जोर जोर से घुंसे मारने लगती है जिसका परीणाम यह होता है कि उनके पेट मे जो एक जिव पिछ्ले दो सालो से पल रहा था वो टुट को उसके 101 टुकडे हो जाते है और उस एक जिव के 101 जिव बन जाते है ।।
तभी गान्धारी हो दुखी देखकर भगवान व्यास वहा प्रकट होते है उन्हे सारी स्थीती पता होती है, वो गान्धारी के पेट से उन 101 जिवो को निकाल लेते है फिर वो 101 बडे डिब्बो मे शुद्ध देशी धी भरते है और फिर अंगुठे के बराबर उन 101 जिवो को एक एक कर उन डिब्बो मे विस्थापित कर देते है ।।
फिर भगवान व्यास गान्धारी को निर्देष देते है कि वो इन डिब्बो को एक वर्ष तक ना खोले फिर एक वर्ष बाद एक डिब्बे को खोले उसमे से तुम्हे एक पुत्र प्राप्त होगा इसके बाद हर महीने एक एके डिब्बे खो खोले इस प्रकार इन डिब्बो से तुम्हे 100 पुत्र और एक कन्या प्राप्त होगी ।।
गान्धारी भगवान व्यास के निर्देषो का पलन करती है तथा एक वर्ष बाद पहला डिब्बा खोलती है जिससे उन्हे एक पुत्र प्राप्त होता है जो दुर्योधन कहलाता है ।
इस प्रकार बाकी उन सभी डिब्बो से प्राप्त पुत्रो को कौरव कहा गया ।।
अब देखो किसी भी द्रष्टीकोण से इसे सही नही मना जा सकता, इसमे सोचने वाली बाते इसप्रकार है ।।
1) गान्धारी दो साल तक गर्भवती रही दो साल मे भी उसे प्रसव नही हुआ, क्या ये संभव है ???
2) गान्धारी ने ने गुस्से मे आकर अपने पेट पर धुसे मारना शुरु किये तो पेट मे बच्चे के मरने कि बजाय 1 बच्चे के 101 बच्चे हो गये कितनी अजीब बात है ।।
3) 101 भुर्ण का पालन पोषण शुद्ध देशी धी से भरे डिब्बो मे होता है ( अब कोइ वैग्यानीक ये मत कह देना कि भगवान व्यास को उसी समय टेस्ट ट्युब बेबी वाली प्रक्रिया पता थी )
4) 101 मे 100 पुत्रो का जन्म होता है और मात्र एक पुत्री जन्म लेती है. ये धोर अन्याय नही है ???