सोचे समझे, फिर कुछ करें...

'MANISH'

yaara naal bahara
एक दिन गुरुनानक यमुना किनारे टहल रहे थे। तभी उन्हें किसी व्यक्ति के जोर-जोर से रोने की आवाज आई। उन्होंने पास जाकर देखा तो पाया कि एक हाथी बेसूध पड़ा था और उसका महावत रोते हुए ईश्वर से हाथी को पुन: जीवित करने की प्रार्थना कर रहा था। उन्होंने महावत से रोने का कारण पूछा। तो वह बोला मेरा हाथी अचानक चलते-चलते गिर पड़ा। मैंने इसे कितना पुकारा और हिलाया-डुलाया परंतु यह उठता ही नहीं है।
तब गुरुनानक बोले तुम हाथी को सिर पर पानी डालों। यह ठीक हो जाएगा।
महावत ने ऐसा ही किया। कुछ ही देर बाद हाथी होश में आ गया और वह उठ बैठा।
महावत ने तत्काल गुरुनानक के चरण पकड़ते हुए कहा- महाराज आपकी कृपा से मेरा हाथी जिंदा हो गया। गुरुनानक बोले- हाथी मरा नहीं था। वह दिमाग में गर्मी हो जाने से बेहोश हो गया था। तुमने उसके सिर पर पानी की ठंडक से दिमाग की गर्मी दूर हो गई। इसमें मेरी कोई कृपा या चमत्कार नहीं है।
कथा सार यह है कि हर व्यक्ति को पहले सोच विचार कर समस्या का कारण जानना चाहिए। फिर उसके निदान का प्रयास करना चाहिए। बिना सोचे-विचारे, घबराने से काम बिगड़ता ही है। अत: खुब सोच-विचार कर कार्य करें। सदैव अच्छे परिणाम प्राप्त होंगे।
 
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