उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले - Umeed Dilate Hain

यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले,
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले,

तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा में दरख्त,
कैसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले,

उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक,
ख़त निकाले हुए बैठा हूँ पुराने वाले,

आ कभी देख ज़रा उन की शबों में आकर,
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले,

कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं,
राज़ होते नहीं सब मुंह से बताने वाले,

आज न चाँद ना तारा है ना जुगनू कोई,
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले...!!!
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Re: उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले - Umeed Dilate H

Wah Wah
Kya Baat Hai ji
 
Re: उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले - Umeed Dilate H

bohut bohut ,bohut hi vadhiya,
 
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