tanki ka sahara-haas kavita

टंकी का सहारा

वोट दे कर भेजा, सर पर रखा ताज
आज तू बेबस खड़ा, कहे मेरी सुनो आवज़

ज़मीन से उठा तूने जिसे आस्मा पे बिठाया
उसी से मिलना तूने चाहा तेरा नंबर ना आया

कोन है तू क्या नाम है तेरा तेरी क्या पहचान
मिलने की ज़िद छोड़ दे बात तू मेरी मान

जो तेरे घर पर था आया लिए वोट की फ़ारियाद
आज वो तेरी सुध ना ले तू हो रहा बर्बाद

बिजली,पानी ,महँगाई का बुन दिया है जाल
इससे फ़ुर्सत पाएगा तभी समझेगा इनकी चाल

एक बार चंपू भैया ने इनसे मिलने की ठानी
चम्चे बोले सर बीजी है ,पर उसने ना मानी

थक के हार गया जब,तो उसने किया एलान
कूद जाओंगा टंकी से दे दूँगा अपनी जान

जहर की सीसी लिए हाथ मैं चडा टंकी के उपर
शासन -प्रशासन हिल गया हरकत मैं आए अफ़सर

नेता जी के होश उड़ गये और गये वो डर
सोचा की होगी बड़ी बदनामी गर गया ये मर

बदनामी का डर सताया तो उनको होश था आया
चंपू जी की बात सुनी और उसका काम करवाया

आज अपने पास नही है दूसरा कोई चारा
गर मिलना हो नेता जी से तो लो टंकी का सहारा

डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
मेडिकल कॉलेज हल्द्वनि
 
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