premi vashode - Gurinder Gill

RdxJatt

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बिछड़ गया संगदिल संग ले गया वो सांसे मेरी,
बिन रूह के तन की इस गठड़ी को उठाऊँ कैसे !
कुरेद कुरेद कर मैंनेलिखा था नाम तेरा दिल पर ,
अब उस नाम को दिल से मिटाऊं तो मिटाऊं कैसे!
चाँद रातों को तारों की छाओं में की थी मोहबत ,
अब इन स्याह रातों को बिन तेरे मैं सुलाऊँ कैसे !
अब भी मेरी इन आँखों में एक तस्वीर बसी रहती है तेरी
बनाकर उसको अश्क़ मैं इन आँखों से गिराऊँ कैसे !
वाबस्ता है तू आज भी इस दिल ओ जां में मेरी ,
तू ही बता अपनी जिन्दा लाश को मैं कफ़न पहनाऊँ कैसे !
 
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