rajivsrivastava
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मेडम जी का कुत्ता
बालकनी मे खड़े हो कर मेडम जी का कुत्ता भोका
उसकी आवाज़ सुन कर गली का कुत्ता चोका
बोला बड़े घर मे हो रहते कैसी तेरी शान
फिर क्यो चिल्ला-चिल्ला कर फोड़ रहे हो कान
तुमको क्या क्स्ट हो गया ,हुई क्या परेसानी
एरकॉनडिशन मैं सोते हो पीते हो ठंडा पानी
मेडम का कुत्ता फिर सूबक -सूबक कर लगा रोने
कहा दिन भर काम कराए नही दे मुझे सोने
रोज सुबह-सुबह मुझे उठाते ले जाते सैर कराने
मुझे ज़ोर-ज़ोर से खिचे ,मेरी एक ना माने
तरह-तरह के करतब दिखाते ,बड़ाने को अपनी शान
सब से कहते .ए- वॅन है ये ,है सब से महान
बंद कमरे मैं दिन भर घूमू बाहर देख ललचाऊ
मन करता किसी दिन चैन छोड़ भाग जाऊ
जब भी कोई घर आता ,मैं तो जाता पीस
तरह-तरह के पॉज़ बनवाए ,और बोले इंग्लीश
एक दिन एक मोटी महिला मेरे घर मैं आई
मेडम बोली हॅंड शेक कर के दिखाओ भाई
हॅंड शेक बोला था पर मुजको समझ ना आया
झट से कूदा सर पे और हेड शेक कर आया
वो चिलायी ज़ोर -ज़ोर से दे के मुजको गाली
मेरी मेडम ने मुझ को पिटा ,बाकी की कसर निकली
मुझ को देते "डॉग बिस्कुट" खुद चिकन है खाए
जब सारा मास ख़त्म हो, हॉड्डी इधर सरकाये
रात को जब सब सो जाते मैं करता चोकीदारी
बीच-बीच मैं चेक करने की इनकी बड़ी बीमारी
ऐसी हालत देख के उसकी गली का कुत्ता मुस्काया
सोचा वो जैसा है भला है ,उसकी समझ मैं आया
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
© copyright reserved by author
बालकनी मे खड़े हो कर मेडम जी का कुत्ता भोका
उसकी आवाज़ सुन कर गली का कुत्ता चोका
बोला बड़े घर मे हो रहते कैसी तेरी शान
फिर क्यो चिल्ला-चिल्ला कर फोड़ रहे हो कान
तुमको क्या क्स्ट हो गया ,हुई क्या परेसानी
एरकॉनडिशन मैं सोते हो पीते हो ठंडा पानी
मेडम का कुत्ता फिर सूबक -सूबक कर लगा रोने
कहा दिन भर काम कराए नही दे मुझे सोने
रोज सुबह-सुबह मुझे उठाते ले जाते सैर कराने
मुझे ज़ोर-ज़ोर से खिचे ,मेरी एक ना माने
तरह-तरह के करतब दिखाते ,बड़ाने को अपनी शान
सब से कहते .ए- वॅन है ये ,है सब से महान
बंद कमरे मैं दिन भर घूमू बाहर देख ललचाऊ
मन करता किसी दिन चैन छोड़ भाग जाऊ
जब भी कोई घर आता ,मैं तो जाता पीस
तरह-तरह के पॉज़ बनवाए ,और बोले इंग्लीश
एक दिन एक मोटी महिला मेरे घर मैं आई
मेडम बोली हॅंड शेक कर के दिखाओ भाई
हॅंड शेक बोला था पर मुजको समझ ना आया
झट से कूदा सर पे और हेड शेक कर आया
वो चिलायी ज़ोर -ज़ोर से दे के मुजको गाली
मेरी मेडम ने मुझ को पिटा ,बाकी की कसर निकली
मुझ को देते "डॉग बिस्कुट" खुद चिकन है खाए
जब सारा मास ख़त्म हो, हॉड्डी इधर सरकाये
रात को जब सब सो जाते मैं करता चोकीदारी
बीच-बीच मैं चेक करने की इनकी बड़ी बीमारी
ऐसी हालत देख के उसकी गली का कुत्ता मुस्काया
सोचा वो जैसा है भला है ,उसकी समझ मैं आया
डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
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