खुशबू for my cuntry ... :)

no man

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हवा के दोश पे किस गुलबदन की खुशबू है
गुमान होता है सारे चमन की खुशबू है

तेरा वजूद है मौसम बहार का जैसे
अदा में तेरी, तेरे बांकपन की खुशबू है

अजीब सहर है ऐ दोस्त तेरे आँचल में
बड़ी अनोखी तेरे पैरहन की खुशबू है

करीब पा के तुझे झूमता है मेरा मन
जो तेरे तन की है वो मेरे मन की खुशबू है

बला की शोख है सूरज की एक एक किरन
पयामे ज़िंदगी हर इक किरन की खुशबू है

गले मिली कभी उर्दू जहाँ पे हिंदी से
मेरे मिजाज़ में उस अंजुमन की खुशबू है

वतन से आया है ये ख़त ‘रक़ीब’ मेरे नाम
हर एक लफ्ज़ में गंगो – जमन की खुशबू है
 
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