चौराहे पे लगी मूर्ति- ek ahsas

:bony

चौराहे पे लगी मूर्ति रहती है खामोश
पर अपने अंदर लिए हुए है दर्जनो आक्रोश
,
कुछ समय पहले ही की गयी थी स्थापना
आज हो रहा है उसे भी साचाई का सामना ,

जिस दिन थी स्थापना लोगो मैं था जोश
आज खड़ी मैली कूचेली नही किसी को होश

नई -नई मूर्तिया लगाने की छिड़ी है जंग
रहने की जगह नही लोग हो रहे तंग

पहले तो मरणोपरांत ही लगती थी मूर्ति
आज तो जिंदा लोगो की मूर्ति भी घूरती

जिसकी लगी है मूर्ति उसकी आत्मा भी रोती है
जब उसके पेर के नीचे कोई भूखी बची सोती है

आज देखो मूर्तियो पे भी उठ रहे सावल
एक दूसरे को कोष रहे माचा रहे बवाल

मरने वाले को गर तुम्हे करना ही है याद
उसके आदरसो पे चलो ना करो धन बर्बाद

मूर्तियो को लगाने की सभी कर रहे कामना
यहा जनता भूकमरी का कर रही है सामना

कह रहा राजीव की होगे साची श्राधंजलि
भूखे को रोटी दे दो भर दो किसी ग़रीब की झोली


डॉक्टर राजीव श्रीवास्तवा
 
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