ज़िंदगी में हम न जाने किस बात से डरते रहे

~¤Akash¤~

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ज़िंदगी में हम न जाने किस बात से डरते रहे
कभी तुमसे कभी अपने हालात से डरते रहे

युं तो बे-इंतेहां चाहा किये तुम्हें उम्र भर
कहीं खबर तुमको न हो इस बात से से डरते रहे

तस्वीर-ए-आरजू-ए-दिल चेहरे पर न इसलिये्
दिल को समझाया और मुलाकात से डरते रहे

तुम्हे डुबो न दे गम का दरिया सोचकर
अश्क पीते रहे और बरसात से डरते रहे

शब-ए-हिज़्र ने दिल पर ऐसा असर छोडा
अंधेरों मे रहे हम मगर रात से डरते रहे

गरज़ थी तेरे कूचे मे सर उटाकर चलने की
मगर तेरे आश्नाओं के ख्यालात से डरते रहे

तुम्हे पाने के ख्वाब हुमने भी सजाये थे् मगर
तुम्हारी हसरतों और अपनी औकात से डरते रहे
 
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