लेकिन...कहीं बीच ...मन और मुझमे ये वक़्त खड़ा ह&#237

~¤Akash¤~

Prime VIP
वो बारिशों के मौसम में साथ तेरे भीगते चलना..
कभी चलते-चलते रुक जाना..कभी रुकते-रुकते चलना..

एक ही छतरी पर आधे गीले तो आधे सूखे रहना..
अपने-अपने हिस्से की ज़मीन एक -दुसरे को देते रहना..

बरसते पानी पर कागज की कश्तियों से खेलना..
तो कुछ बूंदों को हथेली में लेकर मचलना...

बेफिक्री से अपने ही खेल में डूबे रहना..
और अपने ही ख़्वाबों की दुनिया में रमे रहना...

आज भी मन भीगने को मेरा यहाँ तैयार खड़ा है...
लेकिन...कहीं बीच ...मन और मुझमे ये वक़्त खड़ा है..!
 
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