हुई मुद्दतें उसको चलते अकेले

~¤Akash¤~

Prime VIP
बहारों का वो सिलसिला चाहता है
कोई फूल रहना खिला चाहता है

अ! शंमा तू ही आज खुद को बुझा दे
के जीना कोई दिलजला चाहता है

बना दे मुझे या जमीं से मिला दे
ये मुजरिम तेरा, फैसला चाहता है

चला है अभी तक जो ऊँगली पकड़ कर
वो उड़ने का अब हौसला चाहता है

भरी बज़्म में आज मुझको बुझा कर
रखना वो खुद को जला चाहता है

कहें हम भी क्या इश्क के ताजिरों से
वो मुझसे ही जब फासिला चाहता है

हुई मुद्दतें उसको चलते अकेले
"अयान" साथ अब काफिला चाहता है...
 
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