हर ग़ज़ल अब सल्तनत के नाम एक बयान है

~¤Akash¤~

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एक गुडिया की कई कठपुतलियों में जान है
आज शायर ए तमाशा देख कर हैरान है

ख़ास सड़कें बंद हैं तब से मरम्मत के लिए
ए हमारे वक़्त की सबसे बड़ी पहचान है

एक बूढ़ा आदमी है मुल्क में या यौन कहो
इस अँधेरी कोठारी में एक रोशनदान है

मसलहत अमेज़ होते हैं सियासत के कदम
तू न समझेगा सियासत तू अभी इंसान है

इस कदर पाबन्दी-ऐ-मज़हब की सड़कें आपकी
जब से आज़ादी मिली मुल्क में रमजान है

कल नुमाइश में मिला वो चीथड़े पहने हुए
मैंने पुछा नाम तो बोला हिन्दुस्तान है

मुझ में रहते हैं करोड़ों लोग चुप कैसे रहूँ
हर ग़ज़ल अब सल्तनत के नाम एक बयान है
 
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