~¤Akash¤~
Prime VIP
खंडर बचे हुए है ईमारत नहीं रही,
अच्छा हुआ की सर पे कोई छत नहीं रही
कैसे मशालें ले के चले तीरगी में आप
जो रौशनी थी वो भी सलामत नहीं रही
मेरे चमन में कोई नशेमन नहीं रहा
या यूँ कहो की बर्क की दहशत नहीं रही
कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहा
कुछ दुश्मनों से वैसी अदावत नहीं रही
हमको खबर नहीं थी हमें अब पता चला
इस मुल्क में हमारी हुकूमत नहीं रही
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते है लोग
रो-रो के बात कहने की आदत नहीं रही
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया
हम पर किसी खुदा की इनायत नहीं रही
दुष्यंत कुमार
अच्छा हुआ की सर पे कोई छत नहीं रही
कैसे मशालें ले के चले तीरगी में आप
जो रौशनी थी वो भी सलामत नहीं रही
मेरे चमन में कोई नशेमन नहीं रहा
या यूँ कहो की बर्क की दहशत नहीं रही
कुछ दोस्तों से वैसे मरासिम नहीं रहा
कुछ दुश्मनों से वैसी अदावत नहीं रही
हमको खबर नहीं थी हमें अब पता चला
इस मुल्क में हमारी हुकूमत नहीं रही
हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते है लोग
रो-रो के बात कहने की आदत नहीं रही
हमने तमाम उम्र अकेले सफ़र किया
हम पर किसी खुदा की इनायत नहीं रही
दुष्यंत कुमार