सूरत उनकी को देख हर रोज

सूरत उनकी को देख हर रोज
दिन की शुरुआत किया करते है


वो खफा है ना जाने किस बात पे
हर बार इनकार किया करते है


चाहत उनकी खुदा की इबादत जैसी
नाम हर सांस में हज़ार बार लिया करते है


अभी हुसन की चालाकियों से बेखबर है हरमन
प्यार बेशुमार कभी इल्जाम लगातार दिया करते है


कलम :- हरमन बाजवा ( मुस्तापुरिया )
 
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