सब के सब चुपचाप खड़े

~¤Akash¤~

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सब के सब चुपचाप खड़े हैं ये कैसी लाचारी हैं
तानाशाही लगता हैं के लोक तंत्र पर भारी हैं
झूट कपट वालों ने देखो सच्चाई को मारा हैं
काले अंगरेजों से फिर दिल्ली में गाँधी हारा हैं
योग गुरु बाबा को नेताओं ने कैसा रूप दिया
राजनीती ने मानो सत्याग्रह के मूह पर थूक दिया
बड़े इशारे पाकर के वर्दी ने ऐसा काम किया
दिल्ली की मिटटी को मासूमों के खूं से लाल किया
राम लीला मैदान में जलियाँ वाली आज कहानी हैं
ये सरकार तो भारत में डायर की आज निशानी हैं
राजभवन में देशद्रोहियों को जैसे इनाम मिला
संसद हमले के आरोपी को भी सम्मान मिला
राजभवन में बैठे नेता सारे आज संभल जाओ
इससे पहले हम बदलें तुम अपने आप बदल जाओ
ऐसा ना हो भगत सिंह कही फिर बंदूकें बो जाये
बदला लेने की खातिर जिंदा उधम सिंह हो जाये
दरबारों के परपंचो से धीरज मेरा डोल गया
सच की खातिर आज अयान मरने की भाषा बोल गया......
 
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