Saini Sa'aB
K00l$@!n!
शब्दों की किरचें
मन में पड़े थे टूटे हुए शब्द
जब तक मैं उनको जोड़ता
चुभने लगीं शब्दों की किरचें
मुक्ति की छटपटाहट में
चिड़िया की तरह हाँफता मैं
सोचता रहा बचने की तरक़ीब
देता रहा दुहाई सम्बन्धों की
सहता रहा किरचों का वहशीपन
चाक़ू से भी तेज़
तकुए से भी अधिक नुकीली : किरचें
बींधती रहीं मुझे अनहद तक
काश! मैंने न छुए होते टूटे हुए शब्द
तो वहीं पड़ी रहतीं किरचें
और अब तक तो उन पर
जम गई होती विस्मृतियों की धूल।
मन में पड़े थे टूटे हुए शब्द
जब तक मैं उनको जोड़ता
चुभने लगीं शब्दों की किरचें
मुक्ति की छटपटाहट में
चिड़िया की तरह हाँफता मैं
सोचता रहा बचने की तरक़ीब
देता रहा दुहाई सम्बन्धों की
सहता रहा किरचों का वहशीपन
चाक़ू से भी तेज़
तकुए से भी अधिक नुकीली : किरचें
बींधती रहीं मुझे अनहद तक
काश! मैंने न छुए होते टूटे हुए शब्द
तो वहीं पड़ी रहतीं किरचें
और अब तक तो उन पर
जम गई होती विस्मृतियों की धूल।