उस नज़र की मैं क्या बात करुँ ,
मुझे देख के जो झुक जाती है ,
वो धड़कन, वो आहट कदमों की ,
तेरे आने से जो रुक जाती है ॥
कहीं दूर नज़र को फ़ेंकना ,
तेरा धूप का वो सेकना ,
अच्छा सा लगने लगा मुझे ,
चोरी से तेरा वो देखना ॥
मेरे सामने ही बैठ कर ,
वो खिलखिला ह्ँसना तेरा ,
वो एक ही दिन मे कभी ,
कई बार का जचना तेरा ॥
ना बात तुझसे हो सकी ,
ना आँख मेरी रो सकी ,
तेरे प्यार की गहराई में ,
हसरतें ना मेरी खो सकी ॥
ना है गिला तुझसे कोई ,
ना है कोई शिकायत सनम ,
बस सामने तुम आते रहो ,
करना इतनी हिमायत सनम ॥
* रोहित बांसल *
मुझे देख के जो झुक जाती है ,
वो धड़कन, वो आहट कदमों की ,
तेरे आने से जो रुक जाती है ॥
कहीं दूर नज़र को फ़ेंकना ,
तेरा धूप का वो सेकना ,
अच्छा सा लगने लगा मुझे ,
चोरी से तेरा वो देखना ॥
मेरे सामने ही बैठ कर ,
वो खिलखिला ह्ँसना तेरा ,
वो एक ही दिन मे कभी ,
कई बार का जचना तेरा ॥
ना बात तुझसे हो सकी ,
ना आँख मेरी रो सकी ,
तेरे प्यार की गहराई में ,
हसरतें ना मेरी खो सकी ॥
ना है गिला तुझसे कोई ,
ना है कोई शिकायत सनम ,
बस सामने तुम आते रहो ,
करना इतनी हिमायत सनम ॥
* रोहित बांसल *