लगता है खो गया है खुद में ही इस कदर

~¤Akash¤~

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ज़िन्दगी हर रोज अब मरता नहीं "अयान"
सच ये है के तुझसे अब डरता नहीं "अयान"

उड़ता रहा है आज तक अपने ही जोर से
हवाओं के रुख पर कभी चलता नहीं "अयान"

बचता है रोज ही वो बुराई की राह से
पर बुरे को भी बुरा बताता नहीं "अयान"

यूँ तो राहे ज़िन्दगी दुश्वार बहुत थी
पर सोजे-पा मंजिल को दिखाता नहीं "अयान"

देता रहा है सबको वो पैगाम ए दोस्ती
रकीबों से भी नफरत कभी करता नहीं "अयान"

देखा है जबसे उसने किनारे पे डूब कर
तूफ़ान मे कश्ती पे हँसता नहीं "अयान"

कट जाये चाहे रोज अनाओं के वास्ते
पर सर को कभी अपने झुकाता नहीं "अयान"

तेरा ही जिक्र था मेरी हर एक ग़ज़ल में
और होठों पे तेरा नाम भी लाता नहीं "अयान"

दफन हैं इस दिल में यारों की ज़फाएँ
किस्सा ए दिल किसी को सुनाता नहीं "अयान"

वो तेज हो तूफाँ या बारिश भी बहुत हो
चरागों को बुझा कर कभी रखता नहीं "अयान"

लगता है खो गया है खुद में ही इस कदर
किसी को आज कल कही मिलता नहीं "अयान"


सोजे-पा मंजिल=पैर के छाले
 
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