रुसवा न करो

~¤Akash¤~

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ख़ुद को औरों की तवज्जुह का तमाशा न करो
आइना देख लो, अहबाब से पूछा न करो

वह जिलाएंगे तुम्हें शर्त बस इतनी है कि तुम
सिर्फ जीते रहो, जीने की तमन्ना न करो

जाने कब कोई हवा आ के गिरा दे इन को
पंछियो ! टूटती शाख़ों पे बसेरा न करो

आगही बंद नहीं चंद कुतुब-ख़ानों में
राह चलते हुए लोगों से भी याराना करो

चारागर छोड़ भी दो अपने मरज़ पर हम को
तुम को अच्छा जो न करना है, तो अच्छा न करो

शेर अच्छे भी कहो, सच भी कहो, कम भी कहो
दर्द की दौलते-नायाब को रुसवा न करो
 
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