Saini Sa'aB
K00l$@!n!
रात में गाँव
झींगुरों की लोरियाँ
सुला गयीं थी गाँव को,
झोपड़े हिंडोलों सी झुला रही हैं
धीमे धीमे
उजली कपासी धूम डोरियाँ।
झींगुरों की लोरियाँ
सुला गयीं थी गाँव को,
झोपड़े हिंडोलों सी झुला रही हैं
धीमे धीमे
उजली कपासी धूम डोरियाँ।