ये हवा के सर्द झोंके

Saini Sa'aB

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ये हवा के सर्द झोंके
बेतक़ल्लुफ़ दोस्त की बातों सरीखे
ये बडे बेदर्द झोंके
ये गोली से
ये गाली से
निकलती जो दुनाली से
प्रबन्धक सेठ के मुँह से
होटल में दुकानों में
ये ज़ख्मों से
ये फोडो से
ये निर्मम क्रूर कोडों से
जो मेहनत कर थके मांदे
रुके मजदूर पर बरसे
अभ्रक की खदानो में
ये झिडकी से
ये तानों से
ये शिकवों से उलाहनों से
ये पत्थर से उस गोफन के
जिसे मांसल कलाई ने
घुमाकर फेंक मारा हो
मेढों से मचानो से
झेलता बेबस जमाना
किस तरह चुपचाप होके
ये हवा के सर्द झोके।
 
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