फिर उसके बाद मुझे आज तक ज़मीं ना मिली ज़रा सी उम्र थी जब तनहा पहली बार उडा मेरे दिल दी राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा ना दे ये चराग फिर भी चराग है कही तेरा हाथ जला ना दे