आदतन तुम ने कर दिए वादे आदतन हम ने ऐतबार किया तेरी राहों में हर बार रुक कर हम ने अपना ही इन्तज़ार किया अब ना माँगेंगे ज़िन्दगी या रब ये गुनाह हम ने एक बार किया