मेघ घटा घनघोर

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
अश्व वेग-सी दौड़ गई है
मेघ घटा घनघोर
बूँदों की पायल को पहने
नाच रहा मन मोर
यमुना के तट वंशी बजाए
गोपियों संग चितचोर
धरती पर झमझम ये बूँदें
खूब मचाए शोर

-प्रत्यक्षा
 
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