मुस्कान तुम्हारी

Saini Sa'aB

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मुस्कान तुम्हारी

पीछे तो केवल छाया है
यही तुम्हारा सरमाया है

तुम अपनों को ढूँढ़ रहे हो
कोई साथ नहीं आया है

देखी है मुस्कान तुम्हारी
सब कुछ आँसू से पाया है

जिसको तुमने गीत कहा था
चुपके रो-रोकर गाया है

तुम भी बाज नहीं आते हो
जी भरके धोखा खाया है

आशीषों की वर्षा करके
केवल ज़हर तुम्हें भाया है

अपनों का तो सपना पाला
गैरों ने ही अपनाया है
 
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