मिर्ज़ा गालिब

दम लिया था न क्यामत ने हनोज़
फिर तेरा वक्त-ए-सफर याद आया

ज़िन्दगी यों ही गुज़र जाती
क्यों तेरा राहगुज़र याद आया
 
Top