माँग सूनी

Saini Sa'aB

K00l$@!n!
माँग सूनी
है निशा की
हर कदम पर
तम खड़ा है
कैसे छिटके चाँदनी
जब चाँद पर घूँघट पड़ा है
गीत जब मैं गाऊँगा
घूँघट सरक कर ही रहेगा
रूठा है
अमृत कलश औ
प्याले देखें यह तमाशा
निष्ठुर बनेगा कब तलक
वे द्वार पर जब कंठ प्यासा
सुन सदा मतवाले की
मधुघट छलक कर ही रहेगा
साज़ पे
पहरा लगा लो
गीत को तुम बंद कर लो
कंठ कोई सुर न छेड़े
मौन से अनुबंध कर लो
पर देख लेगा जब पिया को
कंगन खनक कर ही रहेगा
 
Top